ICICI Bank Fraud: CBI का बड़ा खुलासा, चंदा कोचर के पति ने 11 लाख में खरीदा 5.3 करोड़ का फ्लैट; जानिए कैसे?
CBI Charge Sheet: सीबीआई की तरफ से दावा किया गया कि कोचर को 2016 में चर्चगेट में सीसीआई चैंबर्स में महज 11 लाख रुपये में एक फ्लैट मिला. उस समय इस फ्लैट की कीमत 5.3 करोड़ रुपये थी.
ICICI Bank Loan Fraud Case: आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड केस में बड़ा खुलासा हुआ है. बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पैसे का दुरुपयोग किया. इतना ही नहीं उन्होंने गलत तरीके से 64 करोड़ रुपये भी अर्जित किये. सीबीआई की तरफ से दायर चार्जशीट में जांच एजेंसी ने कहा कि चंदा कोचर ने अयोग्य वीडियोकॉन ग्रुप की फर्मों को लोन दिया. चंदा कोचर ने 64 मिलियन डॉलर की ग्रेच्युटी स्वीकार की और उनके परिवार को वीडियोकॉन के स्वामित्व वाले मुंबई के चर्चगेट इलाके में एक फ्लैट का मालिकाना हक मिला.
महज 11 लाख रुपये में मिला फ्लैट
सीबीआई की तरफ से दावा किया गया कि कोचर को 2016 में चर्चगेट में सीसीआई चैंबर्स में महज 11 लाख रुपये में एक फ्लैट मिला. उस समय इस फ्लैट की कीमत 5.3 करोड़ रुपये थी. जबकि उनके बेटे ने नवंबर 2021 में उसी इमारत की उसी मंजिल पर 19.11 करोड़ रुपये में फ्लैट खरीदा. आपको बता दें चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वीएन धूत पर 3,250 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. तीनों का ही नाम मार्च के अंत में सीबीआई की तरफ दर्ज की गई 11,000 पन्नों की चार्जशीट में था.
अक्टूबर 2018 में छोड़ा पद
सीबीआई ने धूत के भतीजे, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL) के पूर्व निदेशक सौरभ धूत और कंपनी के सीए दत्तात्रय कदम को भी आरोपी बनाया है. अक्टूबर 2018 में चंदा कोचर ने बैंक के सीईओ और एमडी का पद छोड़ दिया. यह भी आरोप लगा कि उन्होंने लोन के लिए 'वीडियोकॉन ग्रुप का पक्ष लिया'. पिछले महीने, सीबीआई को पूर्व एमडी और सीईओ के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से मंजूरी मिली थी. आरोपपत्र दाखिल होने के बाद मामले की पहली सुनवाई 3 जुलाई को होगी.
300 करोड़ रुपये का टर्म लोन भी दिया
जांच के आधार पर सीबीआई के विशेष अभियोजक ए लेमोजीन ने बताया कि चंदा कोचर ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची. साथ ही वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों के लिए लोन सुविधा स्वीकृत की, यह सब तब हुआ जब ग्रुप की कंपनियां किसी भी लोन के लिए पात्र नहीं थीं. 26 अगस्त 2009 को, ICICI बैंक के निदेशकों की समिति की तरफ से वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये का टर्म लोन स्वीकृत किया गया. इस समिति की अध्यक्षता चंदा कोचर ने की थी.
सीबीआई के अभियोजक ने कहा कि वीडियोकॉन ने अपनी जटिल कंपनियों के माध्यम से दीपक की कंपनी मेसर्स न्यूपावर रिन्यूएबल लिमिटेड (NRL) को 64 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए.