Deflation in China: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कुछ अलग ही हो रहा है.जहां दुनिया के अधिकांश देश महंगाई और मूल्य वृद्धि से परेशान हैं, वहीं चीन लगातार गिरती कीमतों से डूब रहा है. चीन में महंगाई गिर रही है. जिसकी वजह से उसकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में चीन का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया.  आप अगर ये सोच रहे हैं कि महंगाई कम होने से कैसे कोई देश परेशान हो सकता है तो इसे आगे समझते हैं.  


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गिरती महंगाई से चीन परेशान  


चीन में महंगाई  लगातार कम हो रही है. चीन का सीपीआई गिरता जा रहा है. जनवरी 2024 में इसमें 0.8 फीसदी की गिरावट आई थी. उससे पहले सीपीआई 0.5 फीसदी गिर गया था. सितंबर 2009 के बाद से यह सबसे बड़ी मासिक गिरावट है. लगातार चौथे महीने चीन के डिफ्लेशन में गिरावट आई है. चीन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है तो वहीं में लोग खर्च करने के बचाय पैसा बचाने में लगे हैं, जिसकी वजह से चीन बीते कई महीनों से डिफ्लेशन का सामना कर रहा है. 


क्यों महंगाई में आई गिरावट से चीन बेचैन ?  


चीन की इकोनॉमी बुरे दौर से गुजर रही है. वहीं घटती महंगाई ने उसकी मुश्किल को और बढ़ा दिया है. देश में खाने-पीने से लेकर एनर्जी की कीमतें लगातार सस्ती हो रही है. गिरती कीमत भले ही आपको सुनने में अच्छी लगे, लेकिन अर्थव्यवस्था के लिए ये काफी घातक है. लगातार कम होती महंगाई किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होता है.   चीन, जो कोरोना के बाद से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसके लिए ये स्थिति और गंभीर हो गई है. कमजोर घरेलू डिमांड की वजह से चीन की इकोनॉमिक रिकवरी काफी स्लो हो चुकी है. लोगों की खर्च करने के बजाए बचाने में जुटे हैं. मांग के अनुरुप सप्लाई ज्यादा है. 


क्या होता है डिफ्लेशन?


महंगाई में लगातार आ रही गिरावट को डिफ्लेशन कहते हैं. डिफ्लेशन के चलते देश में खाने-पीने जरूरत से ज्यादा सस्ती हो गई है. खाने-पीने से लेकंर ऊजा सब सस्ता हो गया है, लेकिन कीमत गिरना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है. जिसकी वजह से कारोबार, कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ता है. मार्केट में सप्लाई ज्यादा और मांग में कमी के चलते ये स्थिति पैदा होती है.