चीन के कुछ जासूसी जहाज श्रीलंका में मिले हैं. इन जहाजों के मिलने के बाद से ही इनके मकसद को समझने की कोशिश की जा रही थी. फिलहाल अब इनका मकसद सामने आ गया है. चीन की नजर इस समय भारत के खजाने पर लगी हुई है. वह इसके बारे में तेजी से जानकारी जुटा रहा है. इसके साथ ही भारत के खनिज पर भी ड्रैगन की नजरें लगातार बनी हुई हैं.


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इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, श्रीलंका में चीनी जासूसी जहाजों की यात्रा के पीछे का मकसद भारत में छिपा हुआ खजाना है, जिस पर चीन की नजरें लगी हुई हैं. इन जहाजों को बार-बार कोलंबों में पाया जा रहा है. इसके पीछे इनका मकसद साउथ इंडिया की संपत्ति के बारे में जानकारी जुटाना है. इसके साथ ही चीन मुन्नार की खाड़ी में स्थित खनिज के खजाने के बारे में भी जानकारी जुटा रहा है. 


260 अरब डॉलर के हैं तेल और गैस के भंडार


आपको बता दें दक्षिण भारत से लेकर के उत्तर पश्चिम श्रीलंका तक फैली मन्नार की खाड़ी में तेल और गैस के बड़ी मात्रा में भंडार है, जिन पर चीन की नजर बनी हुई है. मन्नार की खाड़ी में करीब 260 अरब डॉलर के तेल और गैस के भंडार बने हुए हैं.


2011 में मिले थे श्रीलंका में भंडार


साल 2011 में यहां पर पहली बार प्राकृतिक गैस के भंडार के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन अभी तक श्रीलंका की तरफ से इसका दोहन नहीं किया गया है. श्रीलंका में मिले इस भंडार से करीब आने वाले 60 सालों तक श्रीलंका की एनर्जी से जुड़ी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.


मुन्नार खाड़ी की क्या है खासियत?


इसके अलावा अगर मुन्नार की खाड़ी की बात की जाए तो समुद्री जैव विविधता के मामले में इस इलाको को काफी समृद्ध माना जाता है. यहां पर करीब 4223 किस्म के पौधे और जीव पाए जाते हैं. इसके अलावा यह क्षेत्र जैविक संपदा के लिए काफी फेमस है. यहां पर वैश्विक महत्व वाली कई तरह की समुद्री विविधता वाले भंडार देखने को मिलते हैं. इसके अलावा यहां पाए जाने वाले जीव कई हजार साल पुराने हैं. 


कहां पर स्थिक है मुन्नार?


बता दें मुन्नार मुख्य रूप से दक्षिण भारत और उत्तर पश्चिम श्रीलंका के बीच में स्थित है. इसके अलावा यहां पर करीब 260 अरब डॉलर से भी ज्यादा कीमत के तेल और गैस से संसाधन पाए जाते हैं.


कर्ज के बोझ में दबा है श्रीलंका


चीन की रणनीति को जानने वाले एक्सपर्ट का मानना है कि श्रीलंका जलक्षेत्र के जरिए जासूसी करना चीन का एक पैटर्न है. श्रीलंका इस समय पर चीन  के कर्ज में दबा हुआ है. चीन इसी मजबूरी का फायदा उठा रहा है और श्रीलंका ने अपने घुटने टेक दिए हैं. श्रीलंका के दिपक्षीय लोन में करीब 52 फीसदी कर्ज चीन का ही है.