नई दिल्ली : दिल्ली की एक विशेष अदालत ने आज कोयला घोटाले से जुड़े एक ऐसे मामले में घिरी निजी कंपनी तथा तीन अन्य लोगों के खिलाफ आगे और जांच करने के निर्देश दिये जिसमें जांच एजेंसी सीबीआई ने ‘मामला बंद करने की रपट’ दाखिल कर दी थी। सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट से विशेष सरकारी वकील (एसपीपी) असहमत थे और वह इस मामले में मुकदमा चलाने के पक्ष में थे।


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मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश भारत पराशर ने जांच एजेंसी को मामले की जांच जारी रखने और 19 दिसंबर को अदालत में प्रगति रपट पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा, ‘एक अलग विस्तृत आदेश के जरिए इस जांच को आगे भेजा जा चुका है। आगे की जांच में हुई प्रगति की रपट दाखिल कराने के लिए उसे अदालत में 19 दिसंबर को प्रस्तुत करें।’ अदालत ने कहा कि वह जांच की प्रगति रिपोर्ट को देखकर इसमें कथित अपराध के बारे में संज्ञान लेने के विषय में विचार करेगी।  


यह मामला नागपुर के कारोबारी मनोज जायसवाल, जैस इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड पावर लिमिटेड, अभिषेक जायसवाल और आनंद जायसवाल के खिलाफ कोयला ब्लाक हासिल करने के लिए कथित रूप से अनियिमितता बरतने के आरोप से जुड़ा है। सीबीआई ने इसमें प्राथमिकी दर्ज थी पर बाद में मामला बंद करने की रपट लगा दी। विशेष सरकारी वकील आर एस चीमा ने इस मामले की फाइल बंद करने की सीबीआई की रपट पर 27 अक्तूबर को आपत्ति उठायी। उन्होंने कहा कि अदालत को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी रखना चाहिए।


उन्होंने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ सबूत हैं और यदि अदालत चाहे तो सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान ले सकती है जिसमें एजेंसी ने कहा था कि प्राथमिकी में आरोपित कंपनी और अन्य के खिलाफ मुकमदा चलाने योग्य साक्ष्य नहीं पाए गए। चीमा ने हालांकि स्पष्ट किया था कि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। सीबीआई ने 14 अक्तूबर को अदालत में एक संशोधित क्लोजर रपट दाखिल की थी।