भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की व्यवहारिक दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए ऐसी फसल बीमा योजना बनाने पर जोर दिया, जिससे आकस्मिक विपत्तियों और आपदाओं में भी उनकी न्यूनतम आय सुनिश्चित की जा सके।


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शिवराज ने आज यहां फसल बीमा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कहा कि कृषि आज भी हमारी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हमारे देश में मौसम आधारित खेती होती है और यह जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। इसलिये फसल नष्ट होने के जोखिम को सुरक्षित करके ही किसानों को सुखी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लागू फसल बीमा योजनाएं अव्यवहारिक हैं और किसान हितैषी नहीं है। इसमें फसलों की क्षति के आकलन में अधिक समय लगता है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि नई फसल बीमा योजना के दायरे में अरिणी किसानों और सभी फसलों को लाया जाना चाहिये। इसके साथ ही इसमें अफलन और सूखे की स्थिति में भी किसानों को राहत देने का प्रावधान होना चाहिये। उन्होंने कहा कि नई फसल बीमा योजना में बीमा राशि के दावों के निपटान तेजी से होना चाहिये तथा मुआवजे की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा होने व्यवस्था की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना का प्रीमियम इतना होना चाहिये कि किसान उसे आसानी से भर सके।


मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये हरसंभव प्रयत्न किये गये हैं। प्रदेश की कृषि विकास दर में चमत्कारी वृद्धि सिंचाई सुविधाओं के व्यापक विस्तार के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा कि खेती की लागत घटाना, किसान को उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना, प्राकृतिक आपदा में किसान के नुकसान की भरपाई लाभप्रद खेती के लिये आवश्यक है।


उन्होंने बताया कि प्रदेश में किसानों की लागत कम करने के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज पर रिण उपलब्ध करवाया गया। पिछले वर्ष मध्य प्रदेश में सोयाबीन और गेहूँ की फसल प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने पर किसानों को 3,300 करोड़ रूपये की राहत वितरित की गयी।


इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि किसानों को संकट के समय में सुरक्षा देने के लिये फसल बीमा की आदर्श योजना बनाना जरूरी हो गया है। आपदाओं से किसानों को बचाना राज्य और केन्द्र सरकार दोनों की जिम्मेदारी है।


संगोष्ठी में भाजपा के उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेश के प्रभारी श्री विनय सहस्त्रबुद्धे, कृषि लागत और कीमत आयोग के अध्यक्ष डॉ. अशोक विशनदास, केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अपर सचिव ए.के. श्रीवास्तव के अलावा विदेशों के कृषि विशेषज्ञ एवं बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।