नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) को अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट (Walmart) जल्द ही खरीद सकती है. यह दावा ब्लूमबर्ग की तरफ से जारी रिपोर्ट में किया जा रहा है. ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि फ्लिपकार्ट ने 75 प्रतिशत शेयर को 15 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़) में वॉलमार्ट को बेचने की मंजूरी दे दी है. रिपोर्ट के अनुसार सॉफ्टबैंक ने भी अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर सहमति जता दी है. यह भी खबर है कि गूगल पैरंट अल्फाबेट भी वॉलमार्ट के साथ इस सौदे में शामिल है.


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कंपनी की 20 अरब डॉलर की वेल्यूएशन
डील के तहत कंपनी का वेल्यूएशन करीब 20 अरब डॉलर तय किया गया. वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट की डील पर अगले 10 दिन में मुहर लग सकती है. अगर वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच यह डील फाइनल हो जाती है तो इससे अमेजन को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि पिछले काफी दिनों से अमेजन इस सौदे की कोशिश में लगी थी. रॉयटर्स की खबर में दावा भी किया गया था कि अमेजन ने फ्लिपकार्ट के 60 फीसदी शेयर खरीदने का ऑफर किया था.


कुछ शर्तों में बदलाव हो सकता है
ब्लूमबर्ग की खबर में यह भी कहा जा रहा है कि डील की कुछ शर्तों में भी बदलाव हो सकता है, अभी यह डील सुनिश्चित नहीं है. इससे पहले शुक्रवार को टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर में यह भी दावा किया गया था कि वॉलमार्ट बोर्ड में फ्लिपकार्ट के एक ही को-फाउंडर को रखना चाहती है. इसके बाद यह संभावना जताई गई कि वॉलमार्ट से सौदे के बाद सचिन बंसल और बिन्नी बंसल में से सचिन फ्लिपकार्ट को अलविदा कह सकते हैं.


सचिन और बिन्नी की 10% की हिस्सेदारी
गौरतलब है कि फ्लिपकार्ट में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की 10 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसमें 5.5 प्रतिशत शेयर सचिन बंसल के पास और 4.5 फीसदी बिन्नी बंसल के पास हैं. दूसरी तरफ फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच बातचीत फाइनल होने की खबरों ने फ्लिपकार्ट के प्लेटफार्म पर सामान बेचने वाले विक्रेताओं को परेशानी में डाल दिया है. अखिल भारतीय ऑनलाइन विक्रेता संघ (एइओवा) के प्रवक्ता ने कहा कि विक्रेता समुदाय को अभी तक इस बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है.


अमेजन और फ्लिपकार्ट पर बिक्री करने वाले करीब 3,500 विक्रेता इस संघ के सदस्य हैं. संघ के प्रवक्ता ने कहा कि फ्लिपकार्ट या अन्य पक्ष की ओर से इस संबंध में हमसे कोई बातचीत नहीं की गई है. हम यह समझते हैं कि सौदे की बातचीत निजी होती है. लेकिन इसने हमें अंधेरे में रखा है, हमारा इस मंच पर भविष्य क्या होगा. हम इस पर स्पष्टता चाहते हैं ताकि हम उसके अनुसार योजना बना सकें.’