PM Kisan: 14 करोड़ किसानों के लिए वित्त मंत्री का बड़ा ऐलान, सुनकर आप भी खुशी से उछल पड़ेंगे
Kisan Credit Card: सितंबर 2022 तक पीएम किसान की 12 किस्त किसानों के खाते में ट्रांसफर हो चुकी हैं. 13वीं किस्त दिसंबर से मार्च तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये किसानों के खाते में भेजी जाएगी.
Nirmala Sitharaman on KCC: देश के 14 करोड़ किसानों की बेहतरी के लिए सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र की मोदी सरकार की ऐसी कई योजनाएं हैं, जिनसे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा रहा है. पीएम किसान निधि (PM Kisan) केंद्र की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है. सितंबर 2022 तक इसकी 12 किस्त किसानों के खाते में ट्रांसफर हो चुकी हैं. 13वीं किस्त दिसंबर से मार्च तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये किसानों के खाते में भेजी जाएगी. अब देश के 14 करोड़ किसानों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंकों को आदेश दिया है.
रूरल बैंकों की मदद करने के लिए भी कहा
वित्त मंत्री ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों को आसानी से कर्ज देने के लिए कहा है. यह बात वित्त मंत्री ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (CEO) के साथ बैठक के दौरान कही थी. इस दौरान उन्होंने तकनीक को बेहतर बनाने के लिए रीजनल रूरल बैंकों (Regional Rural Banks) की मदद करने के लिए भी कहा था.
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को केसीसी जारी किया जाए
बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC Yojana) का रिव्यू किया. साथ ही उन्होंने इस भी बात की कि कैसे संस्थागत ऋण इस क्षेत्र को उपलब्ध कराया जा सकता है. वित्त राज्यमंत्री भागवत के कराड ने कहा, वित्त मंत्री की तरफ से इस बात पर चर्चा की गई कि मछली पकड़ने और डेयरी क्षेत्र में लगे सभी लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किया जाए.
घाटे में चल रहे एक तिहाई ग्रामीण बैंक
कराड ने यह भी बताया कि एक अन्य सत्र में प्रायोजक बैंकों की तरफ से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को लेकर यह निर्णय किया गया कि प्रायोजक बैंकों को तकनीक में सुधार करने में मदद करनी चाहिए. ग्रामीण बैंक की एग्रीकल्चर लोन में अहम भूमिका है. देश में कुल 43 आरआरबी हैं, इनमें से एक-तिहाई आरआरबी घाटे में चल रहे हैं. इन बैंकों का मकसद छोटे किसानों, कृषि क्षेत्र के कामगारों और ग्रामीण इलाकों के कारीगरों को लोन समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है.
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