FM Nirmala Sitharaman: बैंकों को लेकर आरबीआई (Reserve Bank of India) और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की तरफ से कई तरह के नियम बनाए जाते हैं, जिससे देश की बैंकिंग व्यवस्था (Banking System) में सुधार हो सके और एनपीए में गिरावट आ सके. इसी बीच वित्तमंत्री सीतारमण ने संसद में बड़ी जानकारी दी है. निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (NPA) बट्टे खाते में डाले हैं.


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क्या लिया गया फैसला?
वित्तमंत्री ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में कहा है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) या फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बहीखाते से हटा दिया गया है. इसमें वे फंसे हुए कर्ज भी शामिल हैं, जिसके एवज में चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान किया गया है.


आरबीआई जारी करता है दिशा-निर्देश
सीतारमण ने कहा है कि बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों और अपने-अपने निदेशक मंडल की मंजूरी वाली नीति के अनुसार पूंजी का अनुकूलतम स्तर पर लाने लिए अपने अपने बही-खाते को दुरूस्त करने, कर लाभ प्राप्त करने और पूंजी के अनुकूलतम स्तर प्राप्त करने को लेकर नियमित तौर पर एनपीए को बट्टे खाते में डालते हैं.


रिजर्व बैंक ने दी जानकारी
आरबीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राशि को बट्टे खाते में डाला है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि बट्टे खाते में कर्ज को डालने से कर्जदार को लाभ नहीं होता वे पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है.


राशि वसूलने के लिए होती है कार्रवाई
बैंक उपलब्ध विभिन्न उपायों के माध्यम से बट्टे खाते में डाली गई राशि को वसूलने के लिये कार्रवाई जारी रखते हैं. इन उपायों में अदालतों या लोन वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत मामले दर्ज करना और गैर-निष्पादित संपत्तियों की बिक्री आदि शामिल हैं.


कितने करोड़ की हुई वसूली?
उन्होंने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान कुल 6,59,596 करोड़ रुपये की वसूली की है. इसमें बट्टे खाते में डाले गये कर्ज में से 1,32,036 करोड़ रुपये की वसूली शामिल है.


भाषा - एजेंसी


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