Income Tax Return: नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया है और कई स्मार्ट निवेशक शुरुआत से ही अपने टैक्स की योजना बनाना चाहते हैं. जब आयकर रिटर्न दाखिल करने की बात आती है, तो पहली बात जो मन में आती है वह यह है कि पुरानी आयकर व्यवस्था का चयन करना है या नए के लिए जाना है, विशेष रूप से सरकार के जरिए बजट 2023 में कुछ नए ऐलान और छूट भी दी गई है. चाहे वह निवेशक हो या व्यापारी टैक्स रिजीम का चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि कोई किस आय वर्ग में आता है और पुरानी व्यवस्था में छूट का लाभ कैसे प्राप्त कर सकता है.


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इनकम टैक्स रिटर्न
पुरानी टैक्स व्यवस्था में पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ सरकार की ओर से दिया जाता है. वहीं बजट 2023 में सरकार की ओर से नए टैक्स रिजीम में भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ देने का ऐलान किया गया है. इस आदेश के बाद अब नए टैक्स रिजीम से आईटीआर दाखिल करने पर भी टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. साथ ही अब नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट टैक्स रिजीम होगा.


स्टैंडर्ड डिडक्शन
वित्त वर्ष में जो लोग नई कर व्यवस्था में बने रहने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें आयकर अधिनियम 1961 की धारा 16 (IA) के तहत 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. हालांकि, स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ सभी लोगों के लिए नहीं है. 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन केवल उन टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध है, जो वेतन से आय हासिल करते हैं या जिन्हें पेंशन हासिल होती है. ऐसे में सैलरी हासिल करने वाले लोग और पेंशन हासिल करने वाले लोग इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं.


इनकम टैक्स
सरकार की ओर से वेतनभोगी और पेंशनरों को राहत देते हुए 50000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत की गई, जिसका वेतन और पेंशन पर दावा किया जा सकता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन सकल वेतन से एक फ्लैट कटौती है, जिसका अर्थ है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा करने के लिए अलग से आवेदन नहीं करना पड़ता है. साथ ही इसका फायदा लेने के लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता भी नहीं होती है.


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