Bank NPA: सरकार और बैंकों की कोश‍िश लगातार रंग ला रही है. इसी का असर है क‍ि बैंकों का कुल एनपीए (NPA) सितंबर, 2024 में घटकर 12 साल के निचले स्तर 2.6 प्रतिशत पर आ गया. लेकिन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक एनाल‍िस‍िस से सामने आया है क‍ि यह फ‍िर से मार्च 2026 तक बढ़कर 3% तक पहुंच सकता है. आरबीआई ने इसको लेकर चिंता जताई है, यद‍ि प्राइवेट बैंकों में तेजी से बैड लोन बढ़ता है तो इसका मतलब यह है क‍ि बैंकों की स्थिति खराब हो रही है.


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आर्थिक स्थिति खराब होने पर क्‍या होगा?


साल में दो बार आने वाली वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में बताया गया कि यद‍ि आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई तो बैंकों का बैड लोन 5% तक बढ़ सकता है. अगर इससे भी ज्‍यादा स्थिति खराब हुई तो बैड लोन बढ़कर 5.3% तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया क‍ि 'प्रतिकूल परिदृश्य 2 के तहत क्रेडिट र‍िस्‍क तुलनात्मक रूप से गंभीर है. पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के बैंकों का कुल एनपीए रेश्‍यो सितंबर 2024 में 3.3% से बढ़कर मार्च 2026 में 7.3% हो सकता है, जबकि प्राइवेट बैंकों में यह 1.9% से बढ़कर 2.9% तक जा सकता है. इसके अलावा विदेशी बैंकों के लिए 0.9% से बढ़कर 1.4% हो सकता है.'


चार बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरत का उल्लंघन कर सकते हैं
स्‍ट्रेस टेस्‍ट र‍िजल्‍ट से यह जानकारी म‍िली क‍ि 46 प्रमुख शेड्यूल्‍ड कमर्श‍ियल बैंकों का कैप‍िटल र‍िस्‍क वेटेड परिसंपत्तियों का अनुपात (CRAR) सितंबर 2024 में 16.6% से घटकर मार्च 2026 तक 16.5% और प्रतिकूल परिदृश्य 2 के तहत 15.7% हो सकता है. इन स्‍थ‍िति में किसी भी बैंक के न्यूनतम पूंजी जरूरत 9% से नीचे गिरने का अनुमान नहीं है. हालांकि, प्रतिकूल परिदृश्य 1 के तहत, बैंकों का कुल सीआरएआर घटकर 14.3% हो सकता है. इसमें चार बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरत का उल्लंघन कर सकते हैं.


स्थिर लोन की मांग के चलते ऐसा हुआ
आरबीआई (RBI) ने कहा कि लोन चुकाने में चूक की कमी और स्थिर लोन की मांग के चलते ऐसा हुआ है. आरबीआई (RBI) ने लोन को बट्टे खाते में डालने में तेजी से वृद्धि पर भी चिंता जताई. खासकर प्राइवेट सेक्टर के बैंकों (PVB) के बीच ऐसा देखा जा रहा है. इससे बिना गारंटी वाले लोन में बिगड़ती संपत्ति गुणवत्ता को छुपाया जा सकता है. आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के दिसंबर, 2024 अंक के अनुसार, शुद्ध एनपीए अनुपात 0.6 प्रतिशत रहा.


37 कमर्श‍ियल बैंकों का जीएनपीए 2.6 प्रतिशत पर
रिपोर्ट में कहा गया, ‘कर्ज चूक की कमी, बट्टे खाते में बढ़ोतरी और स्थिर लोन मांग के चलते 37 कमर्श‍ियल बैंकों (SCB) का जीएनपीए अनुपात 2.6 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गया. रिपोर्ट के अनुसार अनसेफ लोन की चूक में र‍िटेल लोन पोर्टफोलियो की हिस्सेदारी रही. रिपोर्ट ने इंड‍ियन फाइनेंश‍ियल स‍िस्‍टम में कमजोरियों को भी उजागर किया गया हैं. इसमें शेयर बाजार में अत्यधिक मूल्यांकन, माइक्रोफाइनेंस और कस्‍टमर लोन सेक्‍टर में टेंशन और बाहरी प्रभावों से जोखिम शामिल हैं.


सितंबर 2024 तक र‍िटेल लोन पोर्टफोलियो में नए एनपीए मुख्य रूप से अनसेफ लोन में चूक के कारण संचालित थे, जो नए एनपीए का 51.9% हिस्सा था. बैंक ग्रुप में स्‍मॉल फाइनेंश‍ियल बैंक अपने र‍िटेल लोन पोर्टफोलियो में ज्‍यादा नुकसान का सामना कर रहे हैं, जिसमें 2.7% का जीएनपीए अनुपात, 3.6% का एसएमए (1+2) अनुपात और 4.7% का असुरक्षित जीएनपीए अनुपात है.