GST Collection: केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी काउंस‍िल से मंजूरी के बाद जल्द जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन के लिये नोट‍िफ‍िकेशन जारी क‍िया जाएगा और सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क (CBIC) बोर्ड में सदस्य शशांक प्रिय ने कहा कि विभाग टैक्‍सपेयर की संख्‍या बढ़ाने के लिये काम कर रहा है. सही आकलन लेकर आयकर व्यवस्था में कंपनी करदाताओं के मामले में व‍िभ‍िन्‍न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर रहा है.


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40 प्रतिशत जीएसटी के तहत पंजीकृत


आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल कंपनी टैक्‍सपेयर आधार का केवल 40 प्रतिशत ही जीएसटी के तहत पंजीकृत है. जीएसटी के तहत 1.39 करोड़ कंपनियां पंजीकृत हैं. यह 1 जुलाई, 2017 से लागू जीएसटी की संख्या के मुकाबले करीब दोगुना है. इस दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह भी बढ़ा है. जहां 2017-18 में यह 89,885 करोड़ रुपये रुपये था, वह 2022-23 में बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.


सोच-विचार कर उठा रहे कदम
चालू वित्त वर्ष में अबतक औसत आय 1.69 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने रही. उन्होंने कहा, ‘...हम सोच-विचार कर कदम उठा रहे हैं. हम व्यापार अनुकूल कदम उठाने की प्रक्रिया में हैं.’ शशांक प्रिय ने उद्योग मंडल फिक्की के जीएसटी सम्मेलन में कहा, ‘परिषद से मंजूरी मिलने के बाद हम नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं. हमें कार्यबल के साथ संस्थानों का गठन करना होगा. हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही होगा.’


वित्त विधेयक में बदलाव को मंजूरी
परिषद न्यायाधिकरण के सदस्यों के कार्य अनुभव और पात्रता को भी मंजूरी देगी. संसद ने मार्च में जीएसटी के तहत विवादों के समाधान के लिये अपीलीय न्यायाधिकरण गठित करने का रास्ता साफ करने को लेकर वित्त विधेयक में बदलाव को मंजूरी दे दी थी. योजना के मुताबिक, हर राज्य में न्यायाधिकरण की पीठ स्थापित की जाएंगी जबकि दिल्ली में एक प्रधान पीठ होगी.


जीएसटी मामलों के निपटान के ल‍िए विशेष पीठ नहीं
फ‍िलहाल कर प्राधिकरणों की व्यवस्था से टैक्‍सपेयर को शिकायत होने पर संबंधित उच्च न्यायालयों में जाना पड़ता है. चूंकि अदालतों में पहले से ही काफी संख्या में मामले लंबित हैं, ऐसे में समाधान प्रक्रिया में व‍िलंब होता है. उनके पास जीएसटी मामलों के निपटान को लेकर कोई विशेष पीठ नहीं होती. ऐसे में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पीठ स्थापित करने से मामलों का निपटान तेजी से हो सकेगा.


प्रिय ने कहा कि कुछ कंपनियां हैं, जिन्होंने पंजीकरण प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है. अब सीबीआईसी पंजीकरण प्रक्रिया को कड़ा करने और गड़बड़ी करने वालों को पकड़ने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है. उन्होंने कहा कि फर्जी पंजीकरण को पकड़ने के लिए केंद्र और राज्य कर अधिकारियों के दो महीने से जारी अभियान में 13,900 करोड़ रुपये की चोरी से जुड़े 45,000 फर्जी जीएसटी पंजीकरण जांच के दायरे में हैं. इसके अलावा, अधिकारियों ने 1,430 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ लेने को भी रोका है. (भाषा)