GST के दायरे से बाहर होगा इंश्योरेंस प्रीमियम? आज होने वाली मीटिंग से मिलेगी राहत!
Ministerial Panel Meeting on GST: जीएसटी काउंसिल की तरफ से इसको लेकर दो ग्रुप बनाए गए हैं. इन्हें जीएसटी कानून को आसान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 13 सदस्यों वाले ये ग्रुप 19 अक्टूबर को मिल रहे हैं. इनमें से एक ग्रुप हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले टैक्स को कम करने के बारे में बात करेगा.
GST on Insurance Premium: कुछ ही महीने पहले की बात है जब केंद्रीय परिवहन मंत्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखी और मांग की कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया जाए. उनके चिट्ठी लिखने के बाद इसी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की मांग की. तब से लेकर अब तक इस मामले को लेकर आम आदमी से लेकर सरकार तक में खूब मंथन हो रहा है. इसको लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं. जीएसटी काउंसिल की पिछली मीटिंग में भी इसको लेकर चर्चा किये जाने की उम्मीद थी.
जीएसटी से जुड़ी जरूरी मीटिंग होने जा रही
लेकिन अब इस मामले पर चर्चा के लिए जीएसटी से जुड़ी एक जरूरी मीटिंग होने जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि शायद इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स फ्री करने के लिए कोई ठोस फैसला लिया जाए. जीएसटी काउंसिल की तरफ से इस मामले को लेकर दो ग्रुप बनाए गए हैं, इनको जीएसटी कानून को आसान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 13 सदस्यों वाले ये ग्रुप 19 अक्टूबर को मिल रहे हैं. इनमें से एक ग्रुप हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18% टैक्स को कम करने के बारे में बात करेगा. यह इस ग्रुप की पहली बैठक है और इसका नेतृत्व बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी करेंगे.
इन 13 राज्यों के मंत्री ग्रुप में शामिल
इस ग्रुप में कई राज्यों के मंत्री रखे गए हैं जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना. इन सभी मंत्रियों को मिलकर अक्टूबर के अंत तक रिपोर्ट सब्मिट करनी है. इस रिपोर्ट में कुछ इस तरह के नियम पर विचार किया जाएगा जिससे जीएसटी को और बेहतर बनाया जा सके. अभी हेल्थ और इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% टैक्स लगता है लेकिन जल्द ही यह कम हो सकता है. इसको लेकर यह भी विचार किया जा रहा है कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग टैक्स हो सकता है. जैसे- बुजुर्ग, मध्यम वर्ग के लोगों या मानसिक बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए अलग-अलग टैक्स हो सकता है.
इंश्योरेंस पर टैक्स कम करने का सुझाव दिया जा सकता है
मंत्रियों के इस समूह की तरफ से लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स कम करने का सुझाव दिया जा सकता है. यह सुझाव सभी तरह के इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए होगा जैसे टर्म इंश्योरेंस, निवेश वाली जीवन बीमा योजनाएं (अकेले या ग्रुप के लिए) और फिर से बीमा करवाना. जीएसटी के तहत जरूरी वस्तुओं को या तो छूट दी गई है या इन्हें सबसे टैक्स स्लैब में रखा गया है. लग्जरी वाली चीजों पर 28 प्रतिशत का सबसे ज्यादा टैक्स लगता है. एवरेज जीएसटी स्लैब 15.3% के रेवेन्यू रेट से नीचे आ गया है. इससे जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा शुरू करने की जरूरत महसूस हुई है. अभी जीएसटी के तहत 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार दरें हैं.