नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से कैश की भारी किल्लत देखने को मिली है. सरकार भी इस विषय को लेकर हरकत में आ गई है. वित्त मंत्री से लेकर आर्थिक मामलों के सचिव तक को बयान देना पड़ा है. सरकार अपना बचाव कर रही है तो वहीं विपक्ष इसे नोटबंदी का असर बता रहा है. राहुल गांधी ने तो इस पर कविता तक शेयर कर डाली. वहीं, सरकार का दावा है कि देश में कैश की स्थिति की समीक्षा की गई है. देश में पर्याप्त मात्रा में कैश मौजूद है, बैंकों में भी कैश उपलब्ध है. लेकिन, हकीकत में कैश की कमी के कारण क्या हैं? क्यों ATM सूख रहे हैं? आइये जानते हैं...


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FRDI बिल की अफवाह
फाइनेंस रेज्यूलूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI) बिल, 2017 के आने की अफवाह उड़ी. देश के कई हिस्सों में इसके आने की सुगबुगाहट हुई. अफवाह यह भी उड़ी कि इस बिल के कानून बनने से बैंकों में जमा किया पैसा सुरक्षित नहीं रहेगा. सरकार ने इसका खंडन किया, लेकिन लोग एटीएम और बैंकों से अपना पैसा निकालने दौड़ पड़े.


घोटालों का डर
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने पीएनबी को जो चूना लगाया. वह डर लोगों को मन में बैठ गया है. हर कोई अपनी मेहनत की कमाई को घोटाले में डूब जाने के डर से पैसा निकाल रहा है. लोगों की नजर में बैंकिंग सिस्टम फेल हो रहा है. बैंकों से भरोसा उठने की वजह से लोग कैश डिपॉजिट करने से बचने लगे हैं. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसी डर से लोगों ने पैसा निकालने शुरू किए और एक के बाद एक एटीएम खाली होते गए.



2000 रुपए के नोट की कमी
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग के मुताबिक, 2000 रुपए के नोटों की कमी आई है, लेकिन काला धन जमा होने की आशंका नहीं है. 'अभी सिस्टम में 2000 रुपए के 6 लाख 70 हजार करोड़ नोट हैं. हालांकि, 2000 रुपए के नोट का सर्कुलेशन घटा है. लेकिन, अनुमान यह है कि बड़े नोट जमा करने में आसानी होती है. इसलिए लोग बचत की रकम 2000 रुपए के नोटों में ही जमा कर रहे हैं.


चार गुना बढ़ी नोटों की निकासी
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कुछ हिस्सों में नोटों की कमी को कमोबेश स्थानीय प्रबंधन से उपजी समस्या करार दिया. उन्होंने बताया, 'देश में 4 हजार करंसी चेस्ट हैं. वहीं पैसे आते हैं, रखे जाते हैं और वहां से वितरित होते हैं. इसलिए, हर चेस्ट की मॉनिटरिंग हो रही है. जिस चेस्ट में कैश की कमी हो रही होगी, वहां पर्याप्त कैश पहुंचाया जाएगा.'


स्थानीय प्रबंधन में खामी
एससी गर्ग के मुताबिक, कुछ हिस्सों में नोटों की कमी को स्थानीय प्रबंधन की खामियों की वजह से उपजी है. उन्होंने बताया, देश में 4 हजार करंसी चेस्ट हैं. वहीं पैसे आते हैं, रखे जाते हैं और वहां से वितरित होते हैं. इसलिए, हर चेस्ट की मॉनिटरिंग हो रही है. जिस चेस्ट में कैश की कमी हो रही होगी, वहां पर्याप्त कैश पहुंचाया जाएगा.


बैंक डिपॉजिट में कमी
एटीएम खाली होने का एक कारण बैंक जमा में वृद्धि दर में गिरावट भी है. वित्त वर्ष 2017-18 में बैंक डिपॉजिट ग्रोथ घटकर 6.7% पर आ गई जो साल 2016-17 के दौरान 15.3% रही थी. इसके उलट बैंकों से पैसे ज्यादा निकले. वित्त वर्ष 2016-17 में बैंक क्रेडिट में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई थी जो 2017-18 में बढ़कर 10.3 प्रतिशत रही.


किसानों को भुगतान
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि अचानक नोटों की कमी का कारण किसानों को भुगतान की रकम बढ़ना भी है. उन्होंने कहा कि हालांकि यह कोई नई बात नहीं है. एक विभाग इस तरह के मामलों पर नजर रखता है.



आरबीआई का क्या है तर्क
आरबीआई का कहना है कि उसके पास पर्याप्त नकदी है. लॉजिस्टिक वजहों से कुछ राज्यों में एटीएम में नकदी भरने और कैलिब्रेशन की प्रक्रिया जारी रहने से दिक्कतें हैं. फिर भी सभी चार नोट प्रेसों में छपाई तेज कर दी गई है. संदेह है कि दो हजार के नोटों की जमाखोरी हो रही. निपटने को 500 के नोटों की छपाई 5 गुना बढ़ाई जाएगी.