iPhone बनाने के लिए टाटा को कितने पैसे खर्च करने होंगे? ये रहा पूरा हिसाब
Wistron India: विस्ट्रॉन की यूनिट का टेकओवर टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TIPL) की तरफ से किया जा रहा है. इसका तमिलनाडु के होसुर में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है.
Tata wistron Deal: देश का दिग्गज कारोबारी टाटा ग्रुप अब भारत में आईफोन बनाएगा. मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एपल की सप्लायर विस्ट्रॉन की फैक्ट्री की टेकओवर डील 750 मिलियन डॉलर (करीब 6700 करोड़) में फाइनल हुई है. विस्ट्रॉन के अधिग्रहण के बाद टाटा ग्रुप आईफोन असेंबल करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन जाएगा. इस डील में विस्ट्रॉन का कर्ज भी शामिल है.
कंपनी पर 75-80 मिलियन डॉलर का लोन
दोनों पक्षों की तरफ से बुधवार को अधिग्रहण समझौते पर साइन किए गए. 27 अक्टूबर को सामने आई जानकारी में कहा गया था कि 125 मिलियन डॉलर (करीब 1000 करोड़ रुपये) का भुगतान करेगा. लेकिन यह केवल इक्विटी चेक है. इसके अलावा कंपनी पर 75-80 मिलियन डॉलर का लोन है, जो कि टेकओवर करने वाली कंपनी को देना होगा. इसके अलावा मूल कंपनी की तरफ से विस्ट्रॉन इंडिया को 550 मिलियन डॉलर का इंटर-कॉर्पोरेट लोन दिया गया है.
2008 में इंडियन मार्केट में की थी एंट्री
विस्ट्रॉन की यूनिट का टेकओवर टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TIPL) की तरफ से किया जा रहा है. इसका तमिलनाडु के होसुर में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है. TEPL देश में एपल आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. ताइवान बेस्ड कंपनी विस्ट्रॉन ने 2008 में इंडियन मार्केट में एंट्री की थी. उस समय कंपनी की तरफ से कई डिवाइस के लिए रिपेयर फैसिलिटी दी जाती थी.
2017 में विस्ट्रॉन की तरफ से ऑपरेशंस को एक्सपेंड करके एपल के लिए आईफोन का प्रोडक्शन शुरू किया गया. विस्ट्रॉन के इस प्लांट में 14000 से 15000 कर्मचारी काम करते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एपल की शर्तों के तहत प्रॉफिट हासिल करने में चुनौती आने के कारण अपनी भारतीय असेंबल फैक्ट्री को बेचने का फैसला करना पड़ा. कंपनी को भारत में पैसा कमाने के लिए बहुत ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ रहा था.