धर्म का अर्थशास्त्र...भारत की इकोनॉमी में `भगवान` की भागीदारी, दर्शन मात्र से हर साल हो रही ₹134543 करोड़ की कमाई
Religious Tourism in India: भारत में तेजी से बढ़ा रिलीजियस टूरिज्म धर्म-आस्था को अर्थव्यवस्था से जोड़ रहा है. मंदिरों से देश अमीर हो रहे हैं. लक्षद्वीप बनाम मालदीव की बहस है के बीच आज उस टूरिज्म की बात करेंगे, जो देश की जीडीपी में अहम भागीदारी रखते हैं. देश में बढ़ रहे धार्मिक टूरिज्म का इकॉनमी में कितना रोल है, जानिए...
Religious Tourism in India: धर्म, अध्यात्म, आस्था...ऐसी चीज है जो सभ्यता के विकास के साथ किसी न किसी तरह से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती है. कोई राम की पूजा करता है तो कोई अल्लाह को मानता है. भारत जैसे देश में जहां अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं, वहां उनके अपने-अपने तीर्थ स्थान भी हैं. वहां हर साल लाखों-करोड़ों की संख्या में देश-दुनिया से तीर्थयात्री आते हैं. वैष्णो देवी, अजमेर शरीफ, सारनाथ, महाबोधि मंदिर, तिरुपति बालाजी स्वर्ण मंदिर, काशी विश्वनाथ भारत में ऐसे कितने तीर्थ स्थान है जहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती हैं. ये तीर्थ स्थल अब सिर्फ आस्था नहीं बल्कि इकोनॉमी का हिस्सा बन चुके हैं. लक्षद्वीप बनाम मालदीव की बहस है के बीच आज उस टूरिज्म की बात करेंगे, जो देश की जीडीपी में अहम भागीदारी रखते हैं.
आस्था से अर्थव्यवस्था तक
देशभर में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जिनकी आमदनी करोड़ों में है. आस्था के ये केंद्र अब बड़े कारोबार को जन्म दे रहे हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भागीदारी निभाते हैं. धार्मिक स्थलों को इकोनॉमी से जोड़ने के लिए सरकार भी धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा देती है, पूजा स्थलों से जुड़ने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने से लेकर उनकी लोकप्रियता के लिए मार्केटिंग तक... सरकार रिलीजियस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश करती है. हालांकि रिलीजियस टूरिज्म कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है. सालों-साल से लोग तीर्थयात्रा के लिए धार्मिक स्ठलों पर जाते रहे हैं. लेकिन अब इसका विस्तार अलग रूप में होता जा रहा है. लोग सिर्फ प्राचीन किले-महल, बीच या फिर भारत के जंगलों को देखने नहीं बल्कि देश के तीर्थस्थलों को देखने के लिए देश-दुनिया से आते हैं. श्रीकृष्ण का जन्मस्थल मथुरा-वृंदावन हो या भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी विश्वनाथ हर साल लाखों की संख्या में देशी- विदेशी पर्यटक वहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ये धार्मिक स्थल भारत की जीडीपी से जुड़ते जा रहे हैं.
देश की GDP में भागीदारी
एक तरफ जहां लक्षद्वीप बनाम मालदीव की बहस चल रही है तो वहीं दूसरी ओर पर्यटन के इस दूसरे पहलू को देखना जरूरी है, जो बहुत तेजी से बढ़ रहा है. रिलीजियस टूरिज्म भारत में तेजी से बढ़ रहा है. भारत की अर्थव्यवस्था में टैंपल इकोनॉमी की हिस्सेदारी बढ़ रही है. अनुमान है कि ये 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. वर्तमान में धार्मिक टूरिज्म भारत की जीडीपी में 2.32% की हिस्सेदारी रखता है. भारत में मंदिरों की कमाई बढ़ रही है.
भारत में टैंपल टूरिज्म
भारत में होने वाले टूरिज्म में रिलीजियस टूरिज्म करीब 60 फीसदी है.
साल 2022 में रिलीजियस टूरिज्म से 902 मिलियन डॉलर की कमाई हुई.
स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक ये ग्लोबल ट्रैवल का 6 से 11 फीसदी है.
साल 2022 में 7 करोड़ लोगों ने काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए वाराणसी पहुंचे थे.
साल 2022 में 6.64 मिलियन विदेशी पर्यटक भारत आएं
पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक रिलीजियस टूरिज्म से साल 2022 में 1,34,543 करोड़ की कमाई हुई, जो साल 2021 में 65,070 करोड़ थी.
पिछले पांच सालों में मंदिरों की कमाई
साल 2022 में 1,34,543 करोड़ की कमाई
साल 2021 में 65,070 करोड़ की कमाई
साल 2020 नें 50,136 करोड़ की कमाई
साल 2029 नें 2,11 661 करोड़ की कमाई
साल 2018 में 1,94 881 करोड़ की कमाई
कैसे इकोनॉमी से जुड़ा
सिर्फ केदारनाथ आने वाले आंकड़ों को देखे तो यहां हर साल आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. साल 2018 में 7,32,241 यात्री पहुंचे तो साल 2022 में 14,25,078 यात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए. धर्मिक स्थलों पर पर्यटकों के आने के मतलब है रोजगार, कारोबार, बुनियादी जरूरों को बढ़ावा मिलना. मंदिर रोजगार के स्रोत है. पंडित से लेकर स्थानीय लोगों को काम मिल जाता है. तीर्थस्थल के आसपास कारोबार बढ़ जाता है. देश विदेश से लोगों का आवागमन से ट्रांसपोर्ट, होटल इंडस्ट्री, फूड इंडस्ट्री का विकास होता है. सराकर के राजस्व में भी वृद्धि होती है. बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक और प्रवासी भारतीय आते हैं , जिससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता है, जो देश की इकोनॉमी को बूस्ट करते हैं.