Income Tax Return: भारत के आयकर अधिनियम के अनुसार सभी व्यक्तियों, एचयूएफ, साझेदारी फर्मों, एलएलपी और कॉरपोरेट्स के जरिए अर्जित आय पर इनकम टैक्स लगाया जाता है. व्यक्तियों के मामले में टैक्स एक समान रेट पर नहीं लगाया जाता है बल्कि स्लैब प्रणाली के अनुसार लगाया जाता है. अगर उनकी आय न्यूनतम सीमा से अधिक है तो लोगों को आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा और लागू टैक्स का भुगतान करना होगा. 


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इनकम टैक्स रिटर्न
पुराने टैक्स रिजीम में आम लोगों के लिए आयकर स्लैब को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. इनमें 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति, 60 और 80 वर्ष की आयु के व्यक्ति और 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति शामिल है. हालांकि नए टैक्स रिजीम में ऐसा कुछ नहीं है. वहीं लोगों को अलग-अलग टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है.


टैक्स स्लैब
वहीं नए और पुराने टैक्स रिजीम के हिसाब से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं तो लोगों को अलग-अलग इनकम पर अलग-अलग टैक्स दाखिल करना होता है. हालांकि इसमें लोगों की इनकम के हिसाब से 5 फीसदी टैक्स का भी भुगतान किया जाता है. 5 फीसदी की दर इनकम टैक्स स्लैब में सबसे कम टैक्स दर है.


पुराना टैक्स रिजीम - न्यू टैक्स रिजीम
अगर कोई शख्स पुराने टैक्स रिजीम के हिसाब से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करता है और उस शख्स की उम्र 60 साल से कम की है तो उस शख्स को 2.5 लाख रुपये सालाना से लेकर 5 लाख रुपये सालाना की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. वहीं अगर कोई शख्स नए टैक्स स्लैब से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करता है और उस शख्स की इनकम 3 लाख रुपये से लेकर 6 लाख रुपये सालाना है तो उस शख्स को 5 फीसदी का इनकम टैक्स चुकाना होगा.


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