India buying Russian Oil: भारतीय रिफाइन कंपनियों ने रूस से सस्ता तेल खरीद बंपर कमाई की है. रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2022 से मई 2024 के बीच  भारतीय रिफाइन कंपनियों ने रियायती रूसी तेल खरीदकर कम से कम 10.5 बिलियन डॉलर की बचत की है. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस की ओर से की गई कार्रवाई के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस से तेल आयात करना बंद कर दिया है. ऐसे में रूस अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए भारत को रियायती कीमतों तेल निर्यात कर रहा है. भारतीय तेल रिफाइन कंपनियों ने भी इस ऑफर को दोनों हाथों से लिया और कुछ ही महीनों में रूस भारत के लिए सबसे बड़ा तेल निर्यात करने वाला देश बन गया.


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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के कॉमर्स मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार, भारतीय रिफाइन कंपनियों ने रूस से रियायती कच्चे तेल की खरीद में तेजी लाकर अप्रैल 2022 और मई 2024 के बीच कम से कम 10.5 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत की है. भारतीय रुपयों में यह रकम लगभग 892 अरब के बराबर है. 


रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा भारत


रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है. हालांकि, इस वजह से कई बार कूटनीतिक तौर पर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है. लेकिन भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि वह 85 प्रतिशत से अधिक आायत निर्भरता के साथ कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. ऐसे में उसे ऊर्जा सुरक्षा सबसे अहम है.


दरअसल, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है. भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात से पूरा करता है. मूल्य के हिसाब से भी भारत के ट्रेड व्यापार की सूची में कच्चा तेल सबसे ऊपर है. 


दो साल में बंपर कमाई


डीजीसीआईएस के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने कुल 139.86 अरब डॉलर का तेल आयात किया. विश्लेषण करने से यह पता चलता है कि अगर भारतीय रिफाइन कंपनियां रूस के बजाय किसी अन्य देशों से तेल आयात किया होता तो उसे 145.29 अरब डॉलर भुगतान करना होता. यानी 5.43 अरब डॉलर का ज्यादा भुगतान करना होता. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का कुल तेल आयात बिल 162.21 अरब डॉलर था. अगर भारतीय रिफाइन कंपनियां रूस के बजाय किसी अन्य देशों से तेल आयात किया होता तो उसे 4.87 अरब डॉलर का अधिक भुगतान करना होता. सिर्फ अप्रैल और मई 2025 में रूसी छूट के कारण भारतीय रिफाइन कंपनियों को कम से कम 235 मिलियन डॉलर का फायदा हुआ है.


हालांकि, भारत के कुल विदेशी व्यापार की तुलना में यह बचत काफी कम प्रतीत हो सकती है. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बचत भारत के सिर्फ पांच भारतीय रिफाइन कंपनियों को हुआ है.