Chinese investments in India: बजट से एक दिन पहले पेश वत्तीय वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण में चीन पर भारत की आयात निर्भरता को कम करने के लिए चीन से अधिक FDI की बात की गई है. जिसके बाद से इस पर चर्चा तेज हो गई थी कि क्या सरकार FDI को लेकर चीन के प्रति अपना रवैया बदलेगी? इसी बीच मंगलवार को सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत में चीनी निवेश को समर्थन देने पर पुनर्विचार नहीं की जा रही है.


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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार की रिपोर्ट है. यह एक ऐसी रिपोर्ट है जो हमेशा नए विचार देती है. यह रिपोर्ट मानना सरकार के लिए बाध्य नहीं है.


FDI समर्थन देने पर पुनर्विचार नहींः सरकार


उन्होंने आगे कहा, "जैसा कि हालिया आर्थिक समीक्षा में कहा गया था उस आधार पर सरकार चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को समर्थन देने पर पुनर्विचार नहीं कर रही है. यह एक ऐसी रिपोर्ट है जो नए विचारों के बारे में बात करती है. यह समीक्षा सरकार के लिए बिल्कुल भी बाध्यकारी नहीं है. देश में चीनी निवेश को समर्थन देने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है. 


दरअसल, सरकार ने 2020 में भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से एफडीआई के लिए उसकी मंजूरी अनिवार्य कर दी. भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देश चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान हैं.


आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में क्या था?


चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच संसद में 22 जुलाई को पेश बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा 2023-24 में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पड़ोसी देश चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत की गई थी. 


आर्थिक समीक्षा में कहा गया था, "चूंकि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तात्कालिक आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है.