India Economic growth: विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत तेजी के साथ बढ़ रहा है. इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए भारत की ओर से लगातार कदम बढ़ाए जा रहे हैं. भारत की तरक्की देख दुनियाभर की कंपनियां भारत का रुख कर रही है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था को देखते हुए उसकी ग्रोथ रेटिंग को बड़ा रही है. हाल ही में रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत अगले तीन साल में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा और साल 2030 तक वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. अब डेलॉयट ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 तेजी से बढ़ेगी भारत की इकोनॉमी 


डेलॉयट इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7-7.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. मजबूत सरकारी व्यय और उच्च विनिर्माण निवेश से भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सात से 7.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया है. हालांकि, उसने कहा कि वैश्विक वृद्धि में नरमी से अगले वित्त वर्ष की संभावना प्रभावित होगी. डेलॉयट ने अपने अक्टूबर 2024 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था परिदृश्य में कहा, संपन्न विनिर्माण क्षेत्र, स्थिर तेल कीमतें और चुनाव के बाद संभावित अमेरिकी मौद्रिक सहजता से भारत में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा मिल सकता है, उत्पादन लागत कम हो सकती है और दीर्घकालिक निवेश व रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं. 


चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में सालाना अधार पर 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. हालांकि यह पांच तिमाहियों में सबसे धीमी वृद्धि है, लेकिन भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है. डेलॉयट इंडिया ने बयान में कहा, उसने वित्त वर्ष 2024-25 में वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को सात प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत के बीच और उसके अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इसे 6.5 से 6.8 प्रतिशत के बीच बरकरार रखा है. 


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि मजबूत घरेलू गतिविधि से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहाकि घरेलू कारक जैसे कि मुद्रास्फीति में नरमी, खासकर खाद्य पदार्थों में, बेहतर बारिश तथा रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन, वर्ष की दूसरी छमाही में मजबूत सरकारी व्यय और विनिर्माण में बढ़ता निवेश इस वर्ष भारत की वृद्धि में सहायक होंगे. मजूमदार ने कहा, कि अमेरिकी फेडरल द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद उच्च पूंजी प्रवाह दीर्घकालिक निवेश व रोजगार के अवसरों में तब्दील हो सकता है, क्योंकि दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां परिचालन लागत को और कम करने की कोशिश कर रही हैं.   इनपुट-भाषा