नई दिल्ली: पहले सार्स वायरस (SARS) और अब कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का घर बन चुका चीन, विदेशी कंपनियों के लिए भारी नुकसान का सौदा साबित हुआ है. ऐसे में तमाम कंपनियां अपना बिजनेस चीन से शिफ्ट करके कहीं और जाने का मन बना रही हैं. इस परफेक्ट समय का को भांपते हुए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (New & Renewalwal Energy Ministry) ने बिना देरी किए विदेशी कंपनियों के लिए रेड कारपेट बिछाने की तैयारियां शुरू कर दी है. मंत्रालय को उम्मीद है कि ज्यादातर कंपनियां अपना कारोबार समेटकर भारत का रुख कर सकते हैं.


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नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आनंद कुमार ने कहा कि हम निवेश के अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इज ऑफ डूइंग बिजनेस में और बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा माहौल बनाने की कवायद है जिससे निवेश करने वाले को बिजनेस में रिस्क बहुत कम हो. हम ऐसा इकोसिस्टम बनाने की की ओर हैं जिसमें रीन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में काम आने वाले एंसिलरीज़ और उपकरण मेड इन इंडिया हो,हमारी मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज अपने एक्सपोर्ट के जरिए दुनिया की सेवा कर सके. 


फैक्टरियों के लिए जमीन तलाशने में तेजी
मामले से जुड़े एक अन्य अधिकारी का कहना है कि रीन्यूवेबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग एनर्जी पार्क बनाने के लिए देश के सभी राज्यों और पोर्ट ट्रस्ट को चिट्ठी लिख कर जमीन तलाशने को कहा है. ताकि चीन से भारत आने वाली संभावित कंपनियां कम समय में नए यूनिट लगाकर उत्पादन शुरू कर सकें. मंत्रालय ने यूनिट लगने पर एनर्जी पार्क को कई तरह के इंसेंटिव भी देने की योजना बनाई है. 


एनर्जी पार्क में तैयार होंगे कई उत्पाद
इस पार्क में सोलर सेल, मॉड्युल्स, बैटरी, इनवर्टर जैसे वस्तुओं का उत्पादन होगा. साथ ही यहां सोलर एनर्जी से संबंधित अन्य प्रोडक्ट्स भी तैयार किए जाएंगे. बताते चलें कि इस समय सोलर सेल और मॉड्युल का 85% विदेशों से आयात किया जाता है. ,यानि सोलर पावर विदेशी इंपोर्ट के भरोसे ही है। सरकार को उम्मीद है कि अगर देश में नए सोलर पावर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बने तो इस समस्या से निजात मिल सकती है.


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हर तरह से लुभाने की हो रही तैयारी
उन्हें बताया जा रहा है कि हर संभव मदद की जाएगी, उनके लिए अच्छा वातावरण बनाने के लिए रीन्यूएबल एनर्जी ‌फेसिलिटेशन एंड प्रमोशन बोर्ड बनाया दिया है. ये बोर्ड निवेश के लिए हरेक मुद्दे का समाधान करने का काम करेगा। कंपनियों से पावर परचेज़ एग्रीमेंट में और सुधार किया जा रहा है ताकि कंपनियां बिजली बनाने में दिलचस्पी लें. नये प्रोजेक्ट को फंड करने वाली कंपनियों जैसे PFC, REC  IREDA ने रीपेमेंट पर 2% की छूट देना चालू किया है। कंपनियों को ये भी भरोसा दिया जा रहा है कि लेबर नियम और पॉलिसी के मामले में भी आसान माहौल बनाया जा रहा है ताकि चीन से मोहभंग करने वाली कंपनियां भारत को अपना मैन्युफैक्चरिंग सेंटर भारत में बना सकें.