नई दिल्ली : न्यूनतम मजदूरी को लेकर सभी कामों को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में श्रमिक भीषण शोषण का शिकार हो रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत मुताबिक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कृषि कार्य पत्थर तोड़ने, खदानों में काम करने वाले कामगार, सफाईकर्मी, पहरा देने, लदान, निर्माण, कोयला क्षेत्र के साथ ही कुशल और अकुशल कर्मियों के लिए विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग मजदूरी तय की गई है।


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कृषि क्षेत्र में अकुशल मजदूरों के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 204 से 226 रुपये, अकुशल मजदूरों के लिए 209 से 247 रुपये और कुशल कामगारों के लिए 247 से 298 रुपये निर्धारित किये गए हैं। पत्थर तोड़ने और पत्थर पीसने के कार्य में लगे मजदूरों के लिए भिन्न-भिन्न कार्यों के हिसाब से मजदूरी निर्धारित की गई है। 


वहीं मुलायम मिट्टी हटाने के लिए जहां प्रतिदिन 236 रुपये मजदूरी तय है, वहीं कंकड़ सहित मुलायम मिट्टी हटाने के लिए 357 रुपये, कंकड़ हटाने के लिए 473 रुपये प्रतिदिन मजदूरी निर्धारित की गई है। अलग-अलग आकार के पत्थर तोड़ने और उनकी पिसाई के लिए 602 रुपये से 1465 रुपये प्रतिदिन मजदूरी तय है।


झाड़ू लगाने और सफाई करने के लिए 236 से 353 रुपये प्रतिदिन और बिना शस्त्र के पहरा देने के लिए 276 रुपये से 390 रुपये प्रतिदिन तथा शस्त्र सहित पहरा देने के लिए 333 रुपये से 430 रुपये मजदूरी तय की गई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि न्यूनतम मजदूरी निर्धारित होने के बाद भी मजदूरों को इसकी जानकारी नहीं है। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में एक जैसे कार्य के लिए अलग अलग मजदूरी है जो अपने आप में मजदूरों का नीति आधारित शोषण है।


दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारण के बारे में जानकारी मांगी थी। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सामान लादने और उतारने के कार्य एवं निर्माण क्षेत्र में लगे अकुशल मजदूरों के लिए 236 रुपये से 353 रुपये न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की गई है।


कोयला खदानों में भूमि के ऊपर काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनमत मजदूरी 236 रुपये प्रतिदिन और भूमि के नीचे काम करने वालों के लिए 294 रुपये निर्धारित की गई है। आरटीआई के तहत मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय क्षेत्र में अनुसूचित नियोजनों में नियोजित महिला कामगारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा कोई अलग से मजदूरी निर्धारित नहीं की गई है।


राष्ट्रीय स्तर पर औसत न्यूनतम मजदूरी 1 जुलाई 2015 को 137 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 160 रुपये कर दी गई है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें अपने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत अनुसूचित नियोजनों में कामगारों की विभिन्न श्रेणियों के संबंध में न्यूनतम मजदूरी दरें निर्धारित करती हैं। कुछ समय पहले संसद में पेश श्रम मंत्रालय से जुड़ी स्थाई समिति की एक रिपोर्ट में कांच से जुड़े कारखानों, खनन, कोयला क्षेत्र, भट्टियों में काम करने वाले मजदूरों की दयनीय स्थिति का जिक्र किया गया है।