IndiGo airlines' pink seats: देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो ने हाल ही में एक ऐसा फैसला लिया जिससे बवाल मच गया है. दरअसल, इंडिगो ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को दूसरी महिला के बगल में ही सीट बुक करने का विकल्प दे रहा है. इस सीट को पिंक सीट नाम दिया गया है.


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एयरलाइन का कहना है कि इन सीटों की भारी मांग है. प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से 70 प्रतिशत महिलाओं ने पिंक सीटें चुनी हैं. हालांकि, कुछ महिलाओं का कहना है कि अगर कोई महिला किसी महिला के बगल की सीट नहीं चुनती है तो उसे दुर्व्यवहार की दृष्टि से देखा जाएगा. उनका यह भी कहना है कि इससे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के प्रति अलगाव को बढ़ावा मिलेगा.


क्या है पिंक सीटें?


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई से गुवाहाटी की देर रात की फ्लाइट में एक महिला यात्री सो रही थी. जैसे ही वह उठी उसने देखा कि उसका आर्मरेस्ट उठा हुआ है और उसे छुआ जा रहा है. इसके अलावा फ्रैंकफर्ट-बेंगलुरु फ्लाइट में एक शख्स ने महिला के प्राइवेट पार्ट्स को छुआ. यौन उत्पीड़न या उत्पीड़न इन उदाहरणों को देखते हुए इंडिगो ने महिलाओं को 'महिला-अनुकूल' सीटें चुनने की सुविधा दे रहा है.


क्या कह रही हैं महिलाएं?


पत्रकार और लेखक नमिता भंडारे का कहना है कि महिलाओं के लिए पिंक सीटों की सुविधा महीनों पहले शुरू की गई थी लेकिन कोलकाता रेप केस के बाद इसकी लोकप्रियता बढ़ गई है. लेकिन ये उपाय महिला उत्पीड़न को लेकर महज पट्टी बांधने की तरह हैं. यह उत्पीड़न की समस्याओं का इलाज नहीं हैं.


मैं एयरलाइन के इस कदम के पीछे की वजह को समझती हूं. लेकिन हमें महिलाओं को एकजुट करना होगा न कि उन्हें अलग करना होगा. इस तरह से अलग करना लंबे समय में कभी मदद नहीं करेगा. ऐसे उपाय केवल बैंड-एड्स हैं. इस तरह के उपाय महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करेंगे. उनका कहना है कि वो महिलाएं जो पिंक सीटें बुक नहीं करती हैं तो क्या वो किसी तरह के दुर्व्यवहार को इन्विटेशन दे रही हैं?


पिंक सीट प्रोजेक्ट एक और समस्या की तरह: महिला


वहीं, एक अन्य महिला का कहना है कि इंडिगो द्वारा शुरू की गई यह पिंक सीट प्रोजेक्ट एक और समस्या है. कुल मिलाकर इससे खास मदद नहीं मिलेगी. इससे महिलाओं को अलग-थलग कर दिया जाएगा.


सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी का कहना है कि एयरहोस्टेस की सुरक्षा के बारे में क्या, क्या वे महिलाएं नहीं हैं? अगर महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों से अलग कर दिया जाता है, तो क्या यह पुरातन नहीं है? इस पिंक सीटें से कुछ भी नहीं बदलेगी. ऐसे उपायों से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी.