Corona Policy बेचने से बच रहीं इंश्योरेंस कंपनियां, IRDAI को इस तरह दिया चकमा
कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा तबाही मचा रही है. ऐसी परिस्थितियों में इंश्योरेंस कंपनियों ने कोरोना कवच पॉलिसी बेचने से इंनकार कर दिया है और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इसकी बिक्री पर रोक लगा दी है. अब सिर्फ जीरो कमीशन पर इसकी ऑफलाइन सेल चालू है, जिसमें पॉलिसी बेचने के लिए कोई एजेंट दिलचस्प नहीं है.
नई दिल्ली: कोरोना संक्रमितों (Corona Patient) के अस्पताल खर्च को कवर करने के लिए बीमा नियामक IRDAI ने पिछले साल एक्सक्लूसिव हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लांच किया था, जिसे कोरोना कवच नाम दिया गया. लेकिन बढ़ते क्लेम की वजह से कई इंश्योरेंस कंपनियां (Insurance Companies) इस पॉलिसी को रिनुअल नहीं कर रही हैं.
कंपनियों ने बदला डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका
अपनी इसी मनमानी के चलते कंपनियों ने आईआरडीएआई के उस आदेश का भी तोड़ ढूंढ लिया है जिसमें रेगुलेटर ने 30 सितंबर 2021 तक पॉलिसी की बिक्री और रिनुअल जारी रखने का आदेश दिया था. IRDAI की कार्रवाई से बचने के लिए कुई कंपनियों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इस पॉलिसी की बिक्री बंद कर दी है, और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर 'कोरोना कवच पॉलिसी' बेचने पर अपने एजेंट का कमीशन शून्य यानी जीरो कर दिया है. इस तरह कंपनियों IRDAI का निर्देश तो मान रही हैं, लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका बदलने से ग्राहक के लिए कोरोना कवच पॉलिसी खरीदना मुश्किल हो गया है.
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60 मिनट में होता है क्लेम का भुगतान
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के आदेश के बाद IRDAI ने सभी बीमा कंपनियों से कैशलेस क्लेम त्वरित तरीके से निबटाने का निर्देश दिया है. IRDAI ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करते हुए सभी बीमा कंपनियों से कहा है कि वे इस बारे में सभी संबंधित पक्षों को जानकारी दे दें कि कोविड मरीज के अस्पताल में भर्ती होने पर और सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने के 1 घंटे के भीतर कैशलेस क्लेम निबटाया जाएगा.
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ये चीजें Corona Kavach में होती हैं कवर
गौरतलब है कि कोरोना कवच के तहक पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन सिलिंडर और नेबुलाइजर कवर होती हैं. लेकिन उसे किसी मेडिकल प्रैक्टिशनर ने प्रेस्क्राइब किया हो. हालांकि यह बीमा कंपनी की तरफ से कंफर्म कर लेना चाहिए कि रिफिलिंग की लागत को कवर किया जाएगा या पूरे ऑक्सीजन सिलिंडर की लागत को. इसी प्रकार अगर इलाज कर रहे मेडिकल प्रैक्टिशनर ने नीचे दी गई चीजों को प्रेस्क्राइब किया हो तो इसे इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होगा.
1. घर या किसी डायग्नोस्टिक सेंटर पर डायग्नोस्टिक टेस्ट.
2. लिखित में प्रेस्क्राइब की गई दवाइयां.
3. मेडिकल प्रैक्टिशनर का कंसल्टेशन चार्जेज.
4. मेडिकल स्टॉफ से संबंधित नर्सिंग चार्जज.
5. मेडिकल प्रोसीजर, हालांकि यह दवाइयों के पैरेंटेरल एडमिनिस्ट्रेशन तक ही सीमित रहेगा.
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