नई दिल्ली : जेपी इंफ्राटेक (jaypee infratech) के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से हजारों घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए जल्द से जल्द फैसला लेने के लिए कहा है. इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त करते हुए कहा घर खरीदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. हम लगातार होम बायर्स के पक्ष में काम कर रहे हैं. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा चूंकि मामला एनसीएलटी में लंबित है, ऐसे में एनसीएलटी की तरफ से कोई फैसला आने के बाद ही हम इस मामले में निर्णय लेंगे.


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एक समान प्रस्ताव' पर काम कर रहीं केंद्र सरकार
जेपी इंफ्राटेक मामले में अब अगली सुनवाई अब 1 अगस्त को होगी. मामले की सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने की. इससे पहले सुनवाई में केंद्र ने अदालत से कहा था कि वह ऐसे घर खरीदारों की शिकायतों का समाधान करने के लिए 'एक समान प्रस्ताव' पर काम कर रहा है, जो अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई रियल एस्टेट कंपनियों को देने के बाद फंस जाते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि अगर जेपी इंफ्राटेक मामले में 21 हजार से अधिक घर खरीदारों की शिकायतों का समाधान नहीं किया गया, तो वह उनके हितों की रक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करेगा.


आम सहमति बनाने का प्रयास करने के लिए कहा था
उच्चतम न्यायालय ने दोनों पक्षों से एनसीएलएटी के समक्ष निर्णय पर पहुंचने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास करने के लिए भी कहा था. केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि एनसीएलएटी 17 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 जुलाई तक टाल दी थी. उन्होंने कहा था कि केंद्र एक समान प्रस्ताव पर काम कर रहा है ताकि पीड़ित घर खरीदारों की विभिन्न शिकायतों को दूर किया जा सके और इसे 23 जुलाई तक लंबित यूनिटेक घर खरीदारों के मामले में शीर्ष कोर्ट के निर्देशानुसार प्रस्तुत किया जाएगा.


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को केंद्र से लाखों ऐसे घर खरीदारों की समस्याओं को हल करने के लिए 'एक समान प्रस्ताव' पेश करने को कहा था, जो बिल्डरों को भारी रकम चुकाने के बावजूद अब तक अपने फ्लैटों का कब्जा हासिल नहीं कर सके हैं. कोर्ट जेआईएल से संबंधित एक घर खरीदार के मामले पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा था कि यह मुद्दा लाखों फ्लैट खरीदारों से जुड़ा हुआ है और केंद्र को इसका समाधान करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव देना चाहिए.


(इनपुट : महेश गुप्ता)