15000 रुपये से लेकर 8000 करोड़ के कारोबार तक, अब जीरो हो जाएगा जेट एयरवेज का सफर
Jet Airways Update: बचपन से ही नरेश गोयल को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 11 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा.
Supereme Court Order For Jet Airways: साल 2024 की शुरुआत की बात है जब बैंक फ्रॉड में सजा काट रहे जेट एयरवेज (Jet Airways) के फाउंडर नरेश गोयल ने अदालत में कहा था कि वह जीने की बजाय मरना पसंद करेंगे. उस समय नरेश गोयल (Naresh Goyal) ने जज के सामने 'हाथ जोड़कर' गुहार लगाई और कहा 'मैंने जीवन की हर उम्मीद खो दी है'. दूसरी तरफ एनसीएलएटी (NCLAT) के रिज्यूलूशन प्लान के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जेट एयरवेज के दिन बदलेंगे और यह एयरलाइन फिर से आसमान में दिखाई देगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइन की संपत्तियों को बेचने का आदेश दे दिया. इसके साथ ही जेट एयरवेज फिर से शुरू होने की उम्मीद पर विराम लग गया.
कभी 300 रुपये महीने की नौकरी करते थे नरेश गोयल
लेकिन इस सबके बीच सवाल यही है कि कभी हजारों करोड़ की एयरलाइन जेट एयरवेज (Jet Airways) इस स्थिति में कैसे पहुंची? दरअसल, जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल (Naresh Goyal) ने अपने संघर्ष के दिनों से निकलकर एयरलाइन की शुरुआत की थी. इतना ही नहीं वह शुरुआत में 300 रुपये महीने की नौकरी करते थे. एयरलाइंस को शुरू करने के लिए उन्होंने पैसे तक उधार लिये. 300 रुपये की नौकरी से लेकर देश की नामचीन एयरलाइन और फिर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे नरेश गोयल के बारे में आइए जानते हैं.
17 साल की उम्र में शुरू कर दी नौकरी
नरेश गोयल का जन्म 1949 में पंजाब के संगरूर में हुआ था. उनके पिता एक आभूषण व्यापारी थे. बचपन से ही नरेश गोयल को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 11 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा. परिवार की मदद करने के लिए नरेश गोयल ने 17-18 साल की उम्र में नौकरी शुरू कर दी. उन्होंने मामा की ट्रैवल एजेंसी में उस समय 300 रुपये महीने पर काम किया. इस तरह नरेश गोयल ने काफी कम उम्र से ही जिंदगी की चुनौतियों का सामना करना शुरू कर दिया था.
इराकी एयरवेज ने बनाया पीआर मैनेजर
नरेश गोयल ने 1967 से 1974 तक एक ट्रैवल एजेंसी में काम करते हुए कई विदेशी एयरलाइन के साथ काम किया. इस दौरान उन्होंने ट्रैवल से जुड़े बिजनेस की बारीकियों को समझा और कई देशों की यात्रा की. 1969 में इराकी एयरवेज ने उन्हें अपना पीआर मैनेजर बनाया. इसके बाद 1971 से 1974 तक उन्होंने ALIA और रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस में रीजनल मैनेजर के रूप में काम किया. उन्होंने मिडिल ईस्ट एयरलाइंस में भी काम किया, जहां उन्होंने टिकटिंग, रिजर्वेशन और बिक्री जैसे ट्रैवल बिजनेस की बारीकियों को सीखा.
15,000 रुपये से शुरू किया बिजनेस
ट्रैवल बिजनेस से जुड़ी बारीकियों को अच्छी तरह सीखने के बाद नरेश गोयल ने खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला किया. 1974 में उन्होंने अपनी मां से 15,000 रुपये उधार लेकर 'जेट एयर' नाम से ट्रैवल एजेंसी खोली. यह एजेंसी एयर फ्रांस, ऑस्ट्रियन एयरलाइंस और कैथे पैसिफिक जैसी बड़ी एयरलाइन के लिए काम करती थी. नरेश गोयल का यह कदम कामयाबी की पहली सीढ़ी साबित हुआ और उनका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा. 90 के दशक की शुरुआत में जब इंडियन इकोनॉमी मुश्किल दौर से गुजर रही थी, तब सरकार ने एयरलाइन सेक्टर को खोलने का फैसला किया. गोयल ने इस मौके का फायदा उठाते हुए घरेलू उड़ानों के लिए एयर टैक्सी सर्विस शुरू की.
1993 को जेट एयरवेज का पहला कमर्शियल प्लेन उड़ा
एयर टैक्सी सर्विस शुरू करने के बाद गोयल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. महज दो साल में उनके पास चार विमान हो गए. फिर, 5 मई 1993 को जेट एयरवेज का पहला कमर्शियल प्लेन उड़ान भरकर आसमान में छा गया. इस तरह, जेट एयरवेज ने घरेलू उड़ान में अपनी सेवाएं शुरू कीं. जेट एयरवेज ने भारतीय बाजार में बहुत तेजी से अपनी जगह बनाई. साल 2002 तक यह भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई. उस समय इसने इंडियन एयरलाइंस को भी पीछे छोड़ दिया.
कुल संपत्ति बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हुई
2005 में जेट एयरवेज ने शेयर मार्केट में एंट्री ली. इसके साथ नरेश गोयल की कुल संपत्ति बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई. कंपनी ने अपना आईपीओ जारी किया और वह देश के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल हो गए. फोर्ब्स की लिस्ट में उनका नंबर 16वां था. कारोबार को बढ़ाने के लिए नरेश गोयल ने 2006 में सहारा एयरलाइन को 1450 करोड़ में खरीद लिया. इस सौदे में जेट एयरवेज को 27 विमान और कुछ अंतरराष्ट्रीय रूट मिले. हालांकि यह सौदा जेट के लिए मुसीबत की शुरुआत साबित हुआ.
नरेश गोयल ने सहारा एयरलाइन को खरीदकर नई एयरलाइन शुरू की. लेकिन इसने सस्ती एयरलाइन से मुकाबला करने के लिए बहुत पैसा खर्च किया. इसके बाद तेल के दाम बढ़ने से कंपनी को और नुकसान झेलना पड़ा. इन कारणों से जेट एयरवेज को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. जेट एयरवेज के साथ जो हुआ वह भारतीय विमानन उद्योग के लिए बड़ा झटका रहा. किंगफिशर एयरलाइंस के बंद होने के बाद जेट एयरवेज संकट में फंस गई. 2018 के अंत तक कंपनी पर 25 बैंकों का करीब 8500 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया. नरेश गोयल को 538 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप में जेल में डाल दिया गया.