नई दिल्ली: 'खादी' और 'महात्मा गांधी' को एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. एक दौर था जब गांधी ने खादी का उपयोग उस दौर की विश्व शक्ति ब्रिटेन को भारत से खदेड़ने के हथियार के तौर पर किया था और अब जब दुनिया गांधी की 150वीं जयंती का उत्सव मना रही है तो उनकी खादी संयुक्त राष्ट्र के विश्वमंच पर छा जाने के लिए तैयार है. खादी की पहुंच वैश्विक बाजार में सुनिश्चित करने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. 


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इसके घरेलू उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात' में भी लोगों से इसे खरीदने का आग्रह कर चुके हैं और अब खादी के कपड़ों का प्रदर्शन न्यूयॉर्क में 11 मार्च को होने वाली संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में किया जाएगा. खादी के कपड़ों का यह प्रदर्शन संयुक्तराष्ट्र में 'कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ वीमेन' के 63वें दौर की बैठक के उद्घाटन सत्र में किया जाएगा.


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प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व कांग्रेस को दिए अपने संबोधन में 'खादी' को पर्यावरण अनुकूल, शून्य कार्बन उत्सर्जन, अपशिष्ट का जैविक निपटान और जल-संरक्षण वाला भविष्य का कपड़ा बताया था. खादी ग्रामोद्योग आयोग का कहना है कि अपनी 'खादी हुई वैश्विक: परिवर्तन के 2030 के एजेंडा को पाने के लिए ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण' पहल के तहत मोदी के इसी दृष्टिकोण को पेश करेगी.


आधिकारिक बयान के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में खादी के इस कार्यक्रम को रखने का काम अखिल भारतीय महिला शिक्षा कोष संघ (एआईडब्ल्यूईएफए) ने किया है. खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कूमार सक्सेना ने कहा कि खादी को हमेशा एक प्रेरणादायी कपड़े के तौर पर जाना जाएगा जिसने देश की आजादी में एक अहम भूमिका निभायी.