Diamond Quality: अगर आप भी अक्‍सर डायमंड ज्‍वैलरी खरीदते हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, हीरे की बि‍क्री को लेकर नया न‍ियम लागू होने वाला है. दरअसल, अभी ग्राहक को हीरा खरीदते समय यह नही बताया जाता क‍ि यह लैब में बना हुआ है या फ‍िर नेचुरल. लेक‍िन नए न‍ियम के अनुसार अब लैब में बने हीरे के बारे में ब‍िक्री करने वाले को उसके बारे में पूरी जानकारी देनी होगी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नेचुरल और लैब में तैयार क‍िये जाने वाले अलग-अलग डायमंड के ल‍िए मार्केट‍िंग लेबल के नियम बनाने का सुझाव द‍िया है. इस मामले से जुड़े एक वर‍िष्‍ट अधिकारी ने कहा कि लैब में तैयार क‍िये गए हीरे बनाने वाले अपने रत्‍नों को 'सिंथेटिक डायमंड' के अलावा कोई दूसरा शब्‍द यूज करके उसकी मार्केट‍िंग नहीं कर सकते. इसको लेकर जल्द दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे.


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ग्राहकों का भ्रम दूर करने के ल‍िए जारी की जा रही गाइडलाइन


अधिकारी ने बताया क‍ि ग्राहकों के बीच बढ़ती भ्रम की स्‍थ‍ित‍ि, गड़बड़ी और गलत तरीके से बिक्री करने की श‍िकायतों के बीच नेचुरल और लैब में तैयार क‍िये गए हीरों के लिए अलग-अलग मार्केट‍िंग लेबल के नियम बनाने के लिए कंसलटेशन का आयोजन क‍िया गया था. आपको बता दें वैज्ञानिकों की तरफ से अब ऐसे हीरे तैयार क‍िये जाते हैं, जो क‍ि धरती से निकाले गए हीरों की तरह होते हैं. इनमें नेचुरल डायमंड की तरह चमक, रासायनिक और भौतिक गुण होते हैं और ये प्रमाणित भी हो सकते हैं. लैब में तैयार क‍िये गए हीरे के सस्‍ते होने के कारण उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने देश के ज्‍वैलरी ब‍िजनेस को बढ़ावा दिया है.


2,228 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्‍मीद
मैनेजमेंट और ब‍िजनेस एडवाइजरी फर्म टेक्नोपैक का अनुमान है कि लैब में तैयार क‍िये गए हीरे का मार्केट देश में करीब 2,228 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इस बारे में सरकार 'डायमंड इंडस्‍ट्री में स्‍टैंडर्ड टर्मिनोलॉजी और अपर्याप्त प्रथाओं' की चिंता के कारण नियम बनाना चाहती है. उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में डायमंड इंडस्‍ट्री के प्रतिनिधियों के साथ हुई मीट‍िंग में मंत्रालय ने कहा कि इन 'खामियों' के कारण ग्राहकों के बीच भ्रम की स्‍थ‍िति बनी रहती है और धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला है. यह कंफ्यूजर अक्‍सर नेचुरल डायमंड और लैब में तैयार क‍िये गए हीरे के अंतर को लेकर होता है.


'diamond' शब्द सिर्फ नेचुरल हीरे के लिए यूज किया जाएगा
सरकार लैब में तैयार क‍िये गए हीरे को मान्यता देती है. लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards), जो एक राष्ट्रीय प्रमाणन एजेंसी का कहना है क‍ि 'हीरा' 'diamond' शब्द सिर्फ नेचुरल हीरे के लिए यूज किया जाना चाहिए. लैब में बनाए गए हीरे को 'सिंथेटिक डायरमंड' कहा जाना चाहिए, चाहे उसे बनाने तरीका कुछ भी हो. निधि खरे ने बताया क‍ि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs) ने 30 अक्टूबर 2024 को इन न‍ियमों को लागू किया. लेक‍िन अब यह जरूरी है कि हीरा नेचुरल है या लैब में तैयार क‍िया गया है, यह ग्राहक को साफ-साफ बताया जाना चाह‍िए. अगर इसे लैब में तैयार क‍िया गया है तो उसे बनाने का तरीका भी बताना होगा. सिंथेटिक हीरे को स्‍पेशल लैब में रासायनिक प्रक्रियाओं जैसे रासायनिक वाष्प जमाव और उच्च तापमान का यूज करके बनाया जाता है.


मीट‍िंग में तय क‍िया गया क‍ि हर हीरे पर यह साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि यह कहां से आया है और इसे कैसे तैयार क‍िया गया है? नॉर्थ इंडिया जेम्स एसोसिएशन केके. नाथन ने कहा, 'यह नियम अच्छा है क्योंकि इससे लोगों को सही जानकारी मिलेगी और बि‍जनेस भी बढ़ेगा. लोगों को पता लगेगा क‍ि लैब में बनाए गए हीरे कैसे होते हैं.' नए नियमों के अनुसार लैब में बनाए गए हीरों को 'नेचुरल' या 'असली' नहीं कहा जा सकेगा. नेचुरल डायमंड में थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन होती है, लेकिन लैब में बनाए गए हीरे में बिल्कुल भी नाइट्रोजन नहीं होती. असली हीरा जमीन के अंदर बहुत ज्यादा दबाव पड़ने से लाखों सालों में तैयार होते हैं. आपको बता दें लैब में इतना ही दबाव डालकर स‍िंथेट‍िक डायमंड को तैयार क‍िया जाता है.