Life Insurance Policy: इंश्योरेंस पॉलिसी लोगों के काफी काम आती है. अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी अलग-अलग मौकों के लिए ली जाती है, जिससे लोगों को जरूरत पड़ने पर पॉलिसी के मुताबिक आर्थिक दिक्कतें भी दूर की जा सकती है. हर इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए एक प्रीमियम भी चुकाना होता है. हालांकि कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि लोग इंश्योरेंस प्रीमियम नहीं चुका पाते हैं, जिसके कारण उनकी पॉलिसी लैप्स (Laps Policy) हो जाती है. वहीं अगर आपकी भी पॉलिसी लैप्स हो चुकी है तो आपके साथ धोखाधड़ी भी हो सकती है.


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ठगी का नया तरीका


कई बार ऐसा देखने को मिला है कि लोग इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू तो करवा लेते हैं. लेकिन आने वालों सालों में पॉलिसी के प्रीमियम की अमाउंट नहीं चुका पाते हैं, जिसके कारण उनकी पॉलिसी लैप्स हो जाती है. इसको आधार बनाकर ठगों ने ठगी का नया तरीका भी खोज निकाला है, जिसमें लोग धोखाधड़ी का शिकार भी हो रहे हैं.


फर्जी कॉल


लैप्स हो चुकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों से संबंधित धोखाधड़ी बढ़ रही है और पॉलिसीधारकों को ऐसी पॉलिसियों को रिवाइव करने में मदद करने के लिए फर्जी कॉल लोगों को किए जा रहे हैं. कई बीमाधारक ऐसे फर्जी कॉल के जाल में भी फंस जाते हैं और उनको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ जाता है.


ऐसे बचें


इससे बचने के लिए लोगों को नियमित तौर पर अपनी पॉलिसी का प्रीमियम भरना चाहिए और किसी भी पॉलिसी को लैप्स होने से बचाना चाहिए. अगर पॉलिसी लैप्स हो जाती है तो सभी शर्तों को पूरा करने के बाद पॉलिसी को रिवाइव करने के लिए व्यक्ति को सीधे बीमा एजेंट से संपर्क करना चाहिए.


फर्जी कॉल


इसके साथ ही पॉलिसी रिवाइव करवाने के लिए आई फर्जी कॉल से भी बचना चाहिए. ऐसे फर्जी कॉल में ऐसा दावा किया जाता है कि पॉलिसीधारक एक निश्चित राशि का भुगतान करता है या नई बीमा पॉलिसी खरीदता है तो लैप्स पॉलिसी की अमाउंट भी वापस हासिल होगी. इस तरह के वादे फर्जी कॉल के जरिए लोगों से किए जाते हैं. ऐसे में इस तरह के कॉल पर भरोसा नहीं करना चाहिए.


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