नई दिल्लीः आयकर रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की आखिरी तारीख 30 नवंबर है, जो कि अब से 82 दिन बाद आ जाएगी. कोरोना वायरस महामारी के चलते सरकार ने इस साल रिटर्न फाइल करने की तारीख को बढ़ाया था, ताकि लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. ऐसे में अगर आपने 30 नवंबर के बाद अपना रिटर्न फाइल किया तो भारी नुकसान हो सकता है. इससे छूट का लाभ नहीं मिलता है और जुर्माना भी देना होता है. हम आज आपको रिटर्न को देरी से फाइल करने पर होने वाले नुकसान बताने जा रहे हैं. 


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लेट फाइलिंग फीस
धारा 234 एफ के तहत लेट फाइलिंग फीस, AY 2018-19 से दाखिल रिटर्न के लिए लगाई जाती है, अगर तय तारीख के बाद रिटर्न दाखिल किया जाता है. लेकिन, आकलन वर्ष के 31 दिसंबर से पहले 5,000 रुपये की देर से दाखिल शुल्क लिया जाता है. अगर रिटर्न 31 दिसंबर की तुलना में बाद में दाखिल किया जाता है, तो 10,000 रुपये की देर से फाइलिंग शुल्क देय है. हालांकि, देर से दाखिल शुल्क का पेमेंट 1,000 से अधिक नहीं हो सकता है, यदि कुल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हैं.


नहीं मिलेगा इन सेक्शन में छूट का लाभ
जुर्माने का पेमेंट करने के अलावा, एक टैक्सपेयर्स  को उस वर्ष के लिए कुछ छूट और कटौती को छोड़ना होगा. छूट और कटौती जो आईटीआर देर से दाखिल होने पर उपलब्ध नहीं होगी, नीचे दिए गए हैं:


इनमें आयकर कानून की धारा- 10A और धारा- 10B के तहत मिलने वाली छूट नहीं मिल पाएगी. धारा- 80IA, 80IAB, 80IC, 80ID और 80IE के तहत मिलने वाली छूट से भी हाथ धोना पड़ेगा. देरी से इनकम टैक्‍स रिटर्न (ITR) फाइल करने के कारण टैक्सपेयर्स  को आयकर कानून की धारा- 80IAC, 80IBA, 80JJA, 80JJAA, 80LA, 80P, 80PA, 80QQB और 80RRB के तहत मिलने वाले डिडक्‍शन का लाभ भी नहीं मिलेगा.


धारा 234 ए के तहत ब्याज की छूट:
आयकर कानून (Income Tax Act) की धारा-234A के तहत करदाता को 1 फीसदी की साधारण दर से हर महीने ब्‍याज (Simple Interest) चुकाना होगा.


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