भारत में सिर्फ अंग्रेजों का होता था बीमा...LIC ने ऐसे बदली कहानी, कभी बैलगाड़ी से तो कभी पैदल घर-घर पहुंचते थे एजेंट
`जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी` के टैगलाइन वाली LIC आज 68 साल की हो गई. बीमा का मतलब LIC ने लोगों के बीच रहकर लोगों का भरोसा जीता और आज आज 65% हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है.
LIC Policy: 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी' के टैगलाइन वाली LIC आज 68 साल की हो गई. बीमा का मतलब LIC ने लोगों के बीच रहकर लोगों का भरोसा जीता और आज आज 65% हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है. एलआईसी ने उस दौर को भी देखा, जब लोग इंश्योरेंस को लेकर बात नहीं करते थे. उस दौर में उठकर आज एलआईसी लोगों को भरोसा जीता और इंश्योरेंस का दूसरा नाम बन गई. देश में जब भी बात लाइफ इंश्योरेंस की आती है तो लोगों के मन में सबसे पहला नाम भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का आता है. आज के समय में यह देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है. एलआईसी की स्थापना आज से 68 साल पहले एक सितंबर, 1956 को हुई थी. इसकी स्थापना ऐसे समय पर हुई थी, जब आजादी के बाद इंश्योरेंस सेक्टर काफी कठिन दौर से गुजर रहा था और एलआईसी के आने के बाद इस सेक्टर में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला.
सिर्फ अंग्रेजों को मिलता था बीमा
भारत में पहली बार इंश्योरेंस 1818 में इंग्लैंड से आया था.उस समय ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना यूरोपीय लोगों की ओर से कलकत्ता (अब कोलकाता) में की गई थी. यह कंपनी केवल यूरोपीय लोगों का बीमा करती थी. भारतीयों का इसमें बीमा नहीं किया जाता था.फिर बाद में बाबू मुट्टीलाल सील जैसे जाने माने लोगों के प्रयासों के कारण विदेशी बीमा कंपनियों में भारतीयों का बीमा शुरू हो गया, लेकिन यूरोपीय लोगों के मुकाबले प्रीमियम अधिक वसूला जाता था. बाद में 1870 में इस समस्या को देखते हुए बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी ने एक भारतीय इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना की, जिसमें भारतीय को सामान्य दरों पर बीमा दिया जाता था. धीरे-धीरे राष्ट्रवाद की ब्यार वही और 1886 तक देश में कई भारतीय बीमा कंपनियां खड़ी हो गई.
कैसे हुई LIC की शुरुआत
बीसवीं सदी की शुरुआत में बीमा कारोबार में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली. कंपनियों की संख्या बढ़कर 44 हो गई और इनका व्यापार करीब 22.44 करोड़ रुपये का था, बाद में इन कंपनियों की संख्या बढ़कर 176 तक पहुंच गई और इनका व्यापार बढ़कर 1938 तक 298 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह वह समय था, जब बीमा कंपनियों के वित्तीय स्थिति को लेकर ठीक नहीं थी. इसके बाद देश 1947 में आजाद हुआ. फिर सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया और 245 इंश्योरेंस कंपनियों का विलय कर लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट (LIC एक्ट) के जरिए 5 करोड़ रुपये की पूंजी से LIC की स्थापना की.
कभी बैलगाड़ी तो कभी पैदल पहुंचते थे एजेंट
एलआईसी का काम करने का तरीका उसका सबसे बड़ा हथियार बना. एलआईसी ने लोगों के बीच से अपना एजेंट चुना, उन्हें ट्रेनिंग दी. अपने बीच से निकले किसी शख्स की बातों को लोगों को अधिक भरोसा होता था. स्कीम के बारे में लोगों को समझाने के लिए शुरुआती दिनों में इन एजेटों को काफी मेहनत करनी पड़ी. उन्हें ट्रेन, बस, मोटरसाइकिल, साइकिल से लेकर बैलगाड़ियों तक में जाकर प्रचार करना पड़ा. वे कई-कई किमी पैदल चलते, लेकिन उसका ही नतीजा है कि आज ग्रामीण अंचलों में एलआईसी की 12 करोड़ पॉलिसियां हैं. एलआईसी की स्थापना का उद्देश्य देश के हर नागरिक तक विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इंश्योरेंस की सुविधा सही कीमत पर पहुंचाना था.1956 में एलआईसी के कॉर्पोरेट ऑफिस के अलावा 5 जोनल ऑफिस, 33 डिविजनल ऑफिस और 212 ब्रांच ऑफिस थे.
कितनी बड़ी है LIC
एलआईसी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आज के समय में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के पास 2048 ब्रांच ऑफिस, 113 डिविजनल ऑफिस, 8 जोनल ऑफिस और 1381 सेटेलाइट ऑफिस और कॉरपोरेट ऑफिस हैं. इसकी बाजार हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक हैं. एलआईसी की कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 50 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है.
शेयर बाजार में एंट्री
मई 2022 में एलआईसी का आईपीओ आया था. इसका आकार 21,000 करोड़ रुपये का था. यह भारतीय शेयर बाजार इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ था. एलआईसी का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 6.73 लाख करोड़ रुपये का है. बीते एक वर्ष में एलआईसी के शेयर ने 64.42 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.