PM Kisan in Assam: असम में केंद्र सरकार की प्रमुख 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' (PM Kisan) योजना के तहत बड़ी खाम‍ियां म‍िली हैं. योजना के तहत 35 प्रतिशत आवेदक इसका लाभ पाने के लायक नहीं पाए गए और इन गैर-हकदार लाभार्थियों को जारी की गई धनराशि का मात्र 0.24 प्रतिशत ही वसूला गया है. सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. दिसंबर, 2018 से मार्च, 2021 तक क‍िये गए योजना के ऑडिट में पाया गया क‍ि राज्य के 41,87,023 आवेदनों में से 10,66,593 (25 प्रतिशत) को पीएम-किसान पोर्टल और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली द्वारा खारिज कर दिया गया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जारी की गई धनराशि का 0.24 प्रतिशत ही वापस आया


राज्य सरकार ने मई-जुलाई, 2020 के दौरान राज्य में की गई जांच के जर‍िये घोषित किया कि 31,20,430 लाभार्थियों में से 11,72,685 (37 अपात्र थे. हाल ही में राज्य विस में पेश की गई कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अपात्र लाभार्थियों को जारी की गई धनराशि का मात्र 0.24 प्रतिशत ही अक्टूबर, 2021 तक वापस प्राप्त हुआ. कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लाभार्थियों की सूची में खाम‍ियों के बारे में व‍िभन्‍न तिमाहियों से शिकायत के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर मई, 2020 में शुरू की गई जांच में मई से जुलाई, 2020 तक राज्यभर में सत्यापन के दौरान 15,59,286 ऐसे लोगों के नाम पाए गए, जो इस योजना का लाभ पाने के हकदार नहीं थे.


15 लाख में से 11.31 लाख का पता नहीं चल पाया
योजना के तहत गैर-कृषि लाभार्थी, सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स भी इसका फायदा लेते पाये गए. रिपोर्ट के अनुसार, 15 लाख से अधिक ऐसे लाभार्थियों में से 11,31,152 (72.54 प्रतिशत) का पता नहीं चल पाया. जब लेखा परीक्षकों ने राज्य नोडल अधिकारी (SNO) द्वारा प्रस्तुत ऐसे लाभार्थियों की संख्या (11,72,685) और सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित संख्या (15,59,286) में अंतर की ओर ध्यान दिलाया, तो राज्य सरकार ने कहा कि एक और सत्यापन किया जा रहा है. 10 जिलों के अलावा, राज्य में सबसे अधिक पात्रता नहीं रखने वाले लाभार्थियों को देखते हुए बारपेटा का भी चयन किया गया. चयनित 11 जिलों के 22 ब्लॉक, जिनमें प्रत्येक ब्लॉक में तीन गांव शामिल हैं, को ऑडिट के लिए लिया गया, जिसमें चयनित गांवों से 15 लाभार्थियों (कुल 990) के रिकॉर्ड शामिल किए गए.


योजना के प्रावधानों के अनुसार लाभार्थियों की पात्रता सुनिश्चित करने के बजाय कम समय में बड़ी संख्या में लाभार्थियों के डेटा अपलोड करने पर जोर दिया गया. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा निगरानी की कमी ने भी योजना के कार्यान्वयन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया. इसने यह भी कहा कि लेखा परीक्षा का काम ‘कृषि निदेशक द्वारा रिकॉर्ड या सूचना प्रस्तुत करने में सहयोग की कमी के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ.’ ऑडिट द्वारा एसएनओ डेटाबेस के विश्लेषण से पता चला कि बैंक खाता संख्याओं की शुरुआत में शून्य लगाकर फर्जी पंजीकरण संख्याएं बनाई गई थीं, जिसके परिणामस्वरूप कई पंजीकरणों के विरुद्ध एक ही बैंक खाते में कई लाभ जमा किए गए.


रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट में 33 में से 16 जिलों में 3,577 ऐसे पंजीकरण पाए गए, जिनके लिए 3.01 करोड़ रुपये जारी किए गए. इसने यह भी देखा कि 10 जिलों में 3,104 लाभार्थियों के संबंध में एक ही बैंक खाते का उपयोग करके कई पंजीकरण किए गए थे, हालांकि इन लाभार्थियों को कोई लाभ जारी नहीं किया गया था. ऑडिट में यह भी पाया गया कि लाभार्थियों को धनराशि जारी की गई थी, जिनके नाम में अस्पष्ट अक्षर या विशेष वर्ण थे. अभिलेखों की जांच से पता चला कि प्रशासनिक खर्चों के लिए प्राप्त 2.18 करोड़ रुपये में से, एसएनओ ने भारत सरकार को केवल 77 लाख रुपये का उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) प्रस्तुत किया, जबकि शेष के लिए यूसी अक्टूबर, 2021 तक प्रस्तुत नहीं किए गए. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा लाभार्थियों के भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया को राज्य में उचित महत्व नहीं दिया गया, जिससे न केवल परिचालन दिशानिर्देशों के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ, बल्कि राज्य में योजना के कार्यान्वयन की प्रभावी निगरानी और पर्यवेक्षण भी प्रभावित हुआ. (इनपुट भाषा से भी)


नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!