10 करोड़ परिवार, 20% GDP, क्या कांग्रेस पर भारी पड़ेगी मोदी सरकार की MSP
Modi Cabinet Decision On MSP: 2014 के बाद इस बार MSP में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है. अगले साल लोकसभा चुनाव होना है उससे पहले इस फैसले को सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके साथ ही कई राज्यों में भी चुनाव होने हैं.
MSP Hikes: देशभर के करोड़ों किसानों के लिए सरकार ने बड़ी खुशखबरी दी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को 9 साल बाद ऐसा तोहफा दिया है. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी की है और इस बार की MSP बढ़ोतरी की खास बात यह है कि 2014 के बाद इस बार MSP में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है. अगले साल लोकसभा चुनाव होना है उससे पहले इस फैसले को सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके साथ ही कई राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं.
10 करोड़ परिवारों की खेती पर निर्भरता
नाबार्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 10 करोड़ परिवारों की खेती पर निर्भरता है. ऐसे में सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम 10 करोड़ परिवारों को सीधा प्रभाव डालेगा. जीडीपी में खेती-बारी का हिस्सा लंबे समय बाद पिछले दो साल में बढ़ा है. साल 2020-21 में देश की जीडीपी में एग्रीकल्चर सेक्टर का हिस्सा 20 प्रतिशत हो गया है. इसके पहले एग्री सेक्टर की हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी.
एमएसपी में सबसे बड़ा इजाफा
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा एमएसपी में किया गया यह सबसे बड़ा इजाफा है. सरकार ने मार्केटिंग सेशन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है. प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने यह कदम उठाया है.
मध्यप्रदेश और राजस्थान चुनाव से पहले सरकार का फैसला
प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने यह कदम उठाया है. गेहूं और गेहूं के आटे की उपभोक्ता कीमतें पिछले डेढ़ साल से दबाव में होने के बावजूद इस फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में काफी इजाफा हुआ है. मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने यह फैसला लिया है.
इन 5 फसलों की MSP में इजाफा हुआ
गेहूं के अलावा सरकार ने चना, जौ, मसूर, रैपसीड-सरसों के बीज और कुसुम (सनफ्लावर) की भी एमएसपी में इजाफा कर दिया है.
किसानों की आय बढ़ाने पर है फोकस
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में गेहूं का एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया गया है. केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है. इस बार सरसों पर 200 रुपये, मसूर पर 425 रुपये, गेहूं पर 150 रुपये, जौ पर 115 रुपये, चने पर 105 रुपये और सनफ्लावर पर 150 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी बढ़ाने का फैसला लिया है.
गेहूं की MSP 2015-16 के बाद है सबसे ज्यादा
बता दें गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर मई, 2022 से प्रतिबंध लागू है. गेहूं और आटे की कीमतों में पिछले डेढ़ सालों में काफी इजाफा देखने को मिला है. गेहूं के एमएसपी में मौजूदा बढ़ोतरी 2015-16 के बाद सबसे ज्यादा है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि गेहूं का समर्थन मूल्य 2024-25 विपणन सत्र के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2023-24 में 2,125 रुपये प्रति क्विंटल था.
यूपी में होती है गेहूं की सबसे ज्यादा पैदावार
आपको बता दें गेहूं का उत्पादन उत्तर प्रदेश में भी काफी अच्छा होता है. पिछले वर्ष यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का टारगेट सेट किया गया था.
क्या होता है MSP?
सरकार ने किसानों को उनकी फसलों का अच्छा दाम देने के लिए एमएसपी की सुविधा शुरू की थी. एमएसपी के तहत सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय कर देती है, जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है. अगर कभी फसलों की बाजार कीमत गिर जाती है, तब केंद्र की सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल खरीदती है.
किसानों को लुभाने के लिए लिया फैसला
आपको बता दें जैसा कि सभी जानते हैं कि अगले साल लोकसभा चुनाव होना है तो सरकार के इस कदम को काफी खास माना जा रहा है. सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए इस बार सबसे ज्यादा एमएसपी देने का फैसला लिया है.
इनपुट - भाषा एजेंसी के साथ