नई दिल्ली: मोदी सरकार ने बुधवार को सेमीकंडक्टर (Semiconductors) के मामले में भारत को आत्मनिर्भर (Atmanirbhar Bharat) बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने पीएलआई योजना (PLI Scheme) के तहत करीब 76 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिससे भारत को सेमीकंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी. मोदी सरकार ने ये भी कहा है कि इससे ढेरों नौकरियां (How Semiconductors plan of Modi Govt generate Employment) पैदा होंगी. यह कदम एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि एक तो यह सेमीकंडक्टर के मामले में देश को आत्मनिर्भर बना देगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार के मौके भी पैदा करेगा. बहुत सारे नए स्टार्टअप भी बनेंगे, जिनसे आगे चल कर देश को कुछ और यूनीकॉर्न मिलने की उम्मीद है.


पहले समझिए क्या होता है सेमीकंडक्टर?


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आसान भाषा में कहें तो सेमीकंडक्टर अरबों प्रोडक्ट्स के लिए उनके दिल जैसा है. यह कंडक्टर और नॉन-कंडक्टयर या इंसुलेटर्स के बीच की कड़ी होती है. इसमें करंट दौड़ाने की क्षमता मेटल और सेरामिक्स जैसे इंसुलेटर्स की तुलना में कहीं अधिक होती है. सेमीकंडक्टर चिप मुख्य रूप से सिलिकॉन के बने होते हैं.


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कैसे पैदा होंगी नौकरियां?


मोदी सरकार ने कहा है कि सेमीकंडक्टर के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने से नौकरी के लाखों मौके पैदा होंगे. अंदाजा लगाया जा रहा है कि सेमीकंडक्टर को डिजाइन करने के लिए करीब 85000 टैलेंटेड इंजीनियर्स की फौज की जरूरत पड़ेगी. वहीं मोदी सरकार सेमीकंडक्टर बनाने से जुड़ी तमाम इंडस्ट्रीज भी लगाएगी, जिससे और भी लोगों को नौकरियां मिलेंगी. यह नौकरियां छोटे से लेकर बड़े लेवल तक हो सकती हैं. जैसे अगर कोई इंडस्ट्री लगती है तो उसमें सिर्फ काम करने वाले कर्मचारी नहीं होते, बल्कि तमाम मैनेजर्स, मार्केटिंग और सेल्स के लोग, एचआर के लोग, एडमिनिस्ट्रेशन के लोग, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड इन सबकी जरूरत होती है, जिससे नौकरियों के मौके बढ़ते हैं. इतना ही नहीं, मोदी सरकार का ये कदम बहुत सारे नए स्टार्टअप भी पैदा करेगा.


किस काम आता है सेमीकंडक्टर?


सेमीकंडक्टर का काम तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को पावर देना होता है. इनके जरिेए आप तगड़ी कम्प्यूटिंग, ऑपरेशन कंट्रोल, डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, इनपुट-आउटपुट मैनेजमेंट, सेंसिंग, वायरलेस कनेक्टिवी जैसे का तेजी से कर सकते हैं. यानी इसके बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कम्प्यूटिंग, एडवांस वायरलेस नेटवर्क, ब्लॉकचेन एप्लिकेशन, रोबोट, ड्रोन, गेम, स्मार्चवॉच और यहां तक कि 5जी तकनीक की भी कल्पना नहीं की जा सकती है.


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कहां-कहां होता है सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल?


सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल गाड़ियों के अलावा स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, लैपटॉप, डेटा सेंटर, कम्प्यूटर, टैबलेट, एटीएम, एग्रीटेक इक्विपमेंट समेत घर में इस्तेमाल होने वाली फ्रिज-वॉशिंग मशीन जैसी चीजों में होता है. यानी देखा जाए तो सेमीकंडक्टर के बिना बहुत सारे इक्विपमेंट ठप पड़ जाएंगे.


कैसे सस्ती होंगी चीजें?


मौजूदा समय में सेमीकंडक्टर की कमी के चलते ही ऑटो कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. कोरोना के चलते बहुत सारी फैक्ट्रियां बंद हुई थीं, जिसके चलते सेमीकंडक्टर की किल्लत पैदा हुई. अभी भारत सभी तरह के सेमीकंडक्टर आयात करता है. ऐसे में सेमीकंडक्टर महंगे पड़ते हैं, लेकिन अगर इन्हें देश में ही बनाया जाएगा तो आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ये सस्ते पड़ेंगे. यानी इनका इस्तेमाल कर के बनाई जाने वाली चीजों के दाम में भी कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है.


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