Reliance Chairmen Mukesh Ambani: रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी असल कारोबारी हैं. बिजनेस और मुनाफे का कोई मौका वो नहीं छोड़ते. जश्न के माहौल में भी उन्होंने बड़ी डील कर ली. मार्च महीने में जामनगर में मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की प्री वेडिंग फंक्शन में पूरा परिवार जश्न में डूबा था, लेकिन मुकेश अंबानी ने इस मौके पर भी काम में जुटे रहे. जश्न में शामिल होने आए मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग 1 से 3 मार्च तक गुजरात के जामनगर में थे. इस  प्री वेंडिंग फंक्शन में जश्न के बीच अंबानी और जुकरबर्ग के बीच बड़ी डील हुई.  


रिलायंस कैंपस में बनेगा मेटा का डेटा सेंटर  


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फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मूल कंपनी मेटा चेन्नई में रिलायंस इंडस्ट्रीज के कैंपस में भारत में अपना पहला डेटा सेंटर खोलने जा रही है. ईटी की रिपोर्ट  के मुताबिक जुकरबर्ग और मुकेश अंबानी के बीच इसे लेकर जामनगर में चर्चा शुरू हुई और वहीं प्री वेंडिंग के दौरान उन्होंने डील फाइनल कर ली. माना जा रहा है कि रिलायंस के 10 एकड़ में फैले कैंपस में मेटा का डेटा सेंटर खुलेगा. इस डेटा सेंटर की मदद से मेटा चार से पांच नोड्स ऑपरेट कर पाएगा. इससे भारत में तेजी से डेटा प्रोसेसिंग की परमिशन मिलेगी. 


अमेरिका के मुकाबले दोगुने यूजर्स


 बता दें कि भारत में फेसबुक के 314.6 मिलियन, इंस्टाग्राम के 350 मिलियन और व्हाट्सएप के 480 मिलियन यूजर्स हैं. यूजर्स के मामले में भारत अमेरिका से काफी आगे हैं. अमेरिका के मुकाबले भारत में दोगुना यूजर्स हैं. इस यूजर्स बेस को देखते हुए मेटा भारत में डेटा स्टोरेज को स्थानीय बनाने पर विचार कर रहा है.  हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है. 


क्या होगा भारतीयों को फायदा  


वर्तमान में भारतीय यूजर्स का डेटा सिंगापुर जाता है. भारत में डेटा सेंटर खुलने से मेटा को लोकल यूजर्स के तैयार कंटेंट को प्रोसेसिंग करने में आसानी होगी. रिलायंस कैंपस में खोने जाने वाले डेटा सेंटर की मदद से मेटा भारत के अलग-अलग जगहों पर चार से पांच नोड्स ऑपरेट कर सकेगा. इससे भारत में डेटा प्रोसेसिंग तेजी से हो सकेंगे. भारत में डेटा सेंटर खुलने से यूजर्स एक्सपीरियंस बेहतर होगा और ग्लोबल डेटा सेंटर्स की कॉस्टिंग कम होगी. बता दें कि डाटा सेंटर नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर सर्वर का बड़ा समूह होता है, जहां हैवी डाटा स्टोरेज, प्रोसेसिंग होती है. सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफार्म से हैवी डेटा मिलता है, जिनके स्टोरेज के लिए डेटा सेंटर की जरूरत होती है.