नई दिल्ली: सरकार ने E-Commerce कंपनियों में FDI को लेकर राहत देने से इनकार कर दिया. इससे अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. सरकार ने साफ कर दिया है कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों को विदेशी निवेश के नियमों का पालन करना ही होगा. सरकार ने पिछले महीने ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश के नियमों पर सफाई जारी की थी. सफाई में कहा था कि विदेशी निवेश लेने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म यानि वेबसाइट पर अपनी ही ग्रुप की कंपनियों या सहयोगी कंपनियों के सामान बेचने की इजाजत नहीं होगी.


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फिलहाल अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियां जो सामान अपनी वेबसाइट पर बेचती हैं उसमें उनकी सहयोगी कंपनियों की ओर से सप्लाई किए जाने वाले प्रोडक्ट भी होते हैं. कई बार इसकी वजह से भी कीमतों को प्रभावित कर सस्ता सामान बेचा जाता है. विदेशी निवेश लेने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों की दलील थी कि उनकी सहयोगी कंपनियों के पास करीब 6 हज़ार करोड़ रुपये का माल है जिसकी एक महीने में ही बिक्री कर पाना संभव नहीं होगा. इसकी वजह से उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ेगा. इसलिए सरकार नियमों को लागू करने की समय सीमा 6 महीने बढ़ाए. लेकिन सरकार ने इस दलील को नकार दिया.


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अब ई-कॉमर्स कंपनियों की मैन्यूफैक्चरर्स के साथ होने वाली एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट लॉन्च या सेल की डील भी नहीं हो सकेगी, क्योंकि नए नियमों में इसकी मनाही है. मुमकिन है कि ई-कॉमर्स कंपनियां कोई और रास्ता निकलता न देख या तो सप्लायर्स को सामान वापस लौटाएं या फिर भारी डिस्काउंट पर बिक्री कर स्टॉक खत्म करें. सरकार ने 26 दिसंबर को सफाई जारी कर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सख्ती बढ़ा दी थी. घरेलू कारोबारियों का आरोप था कि ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी फंडिंग के दाम पर भारी डिस्काउंट देती हैं. साथ ही सप्लायर्स पर भी दबाव बनाकर कीमतों को प्रभावित करती हैं जिससे छोटे कारोबारियों की आमदनी घट रही है.