Private Sector Jobs Salary Hike: हाल ही में रिपोर्ट आई, जिसमें दावा किया गया कि देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ रही है. यूबीएस ने बिलिनायर्स एम्बिशंस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में अरबपतियों की संख्या 185 हो गई है. जहां अमीर और अमीर हो रहे हैं तो मिडिल क्लास सिकुड़ता जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह अब सामने आई है. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों का दर्द बयां करने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसने कॉरपोरेट सेक्टर की हकीकत बयां कर दी है.  इस रिपोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले उन करोड़ों लोगों के दर्द को फिर से हरा कर दिया जो काम के बोझ तले उसे भूल जाते हैं. 


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कंपनियों की मौज, पिस रहे कर्मचारी  


प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी दो धारी तलवार पर टिके हैं. एक तरह छंटनी की तलवार लटक रही होती है तो दूसरी तरफ परफॉर्मेंस के बावजूद मामूली सैलरी हाइक के बीच परिवार को पालने का प्रेशर झेलना पड़ता है.  न तो काम के घंटे तय होते हैं और न ही प्राइवेट नौकरी में छुट्टियां मिलती है. लेकिन घर-परिवार को चलाना है तो इस कॉरपोरेट कल्चर को झेलना होगा. हर दिन खुद को दूसरों से बेहतर साबित करना होगा. टारगेट पूरा का प्रेशर आपको प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ निजी जिंदगी पर हावी होने लगता है, लेकिन इस प्रेशर के बावजूद सैलरी हाइक के नाम पर साल के अंत में चवन्नी बांट दी जाती है, इसे लेकर बातें को कई बार हुई, लेकिन इस बार सरकार ने भी उस दर्द को महसूस किया. हालांकि इस रिपोर्ट का असर क्या होगा ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन प्राइवेट और कॉरपोरेट सेक्टर की जो हकीकत सामने आई है, उसे जानना जरूरी है.  


नहीं बढ़ रही प्राइवेट नौकरी में सैलरी  


इंडस्‍ट्री चैंबर फिक्‍की ने अपनी एक रिपोर्ट चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों का मुनाफा तो रॉकेट की रफ्तार में लगातार बढ़ रहा है, लेकिन उस मुनाफे के अनुरूप कर्मचारियों की सैलरी मालगाड़ी की तरह बढ़ रही है.  फिक्‍की और क्‍वेश कॉरपोरेश लिमिटेड की सर्वे के बाद आई रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों ने पिछले 4 साल में जमकर मुनाफा कमाया. 15 सालों में प्राइवेट कंपनियों का मुनाफा अब तक के उच्चतम स्तर पर है, लेकिन उस हिसाब से कर्मचारियों की सैलरी का अनुपात नहीं बढ़ा है.  


गिरती जीडीपी बनी चिंता  


बात जब जीडीपी तक पहुंची तो सरकार ने भी चिंता जताई. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन ने भी इस रिपोर्ट पर चिंता जाहिर करते हुए प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को इस बारे में जरूरी कदम उठाने को भी कहा है.बता दें कि सरकार की चिंता ये भी है कि देश का सबसे बड़े टैक्सपेयर्स तबके की घटती आमदनी का असर जीडीपी ग्रोथ पर दिखने लगा है. रिपोर्ट में इस बात की चिंता जताई गई कि इस साल जुलाई-सितंबर में जीडीपी में 5.4 फीसदी की तेज गिरावट आई है. इस गिरावट ने नीति निर्माताओं के बीच चिंता पैदा कर दी है. जीडीपी में आई गिरावट की बड़ी वजह कॉरपोरेट सेक्‍टर की आमदनी 10 फीसदी से नीचे रहना है. लोगों की कमाई पर असर का सीधा असर उनकी खरीदारी पर पड़ता है. कम आमदनी के चलते खरीदारी कम यानी खपत में गिरावट होना है. 


सिर्फ 0.8 फीसदी का इंक्रीमेंट  


रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 से 2023 के बीच देश के 6 प्रमुख सेक्‍टर्स में सैलरी इंक्रीमेंट औसतन 0.8 फीसदी रहा है. इंजीनियरिंग, मैन्‍युफैक्‍चरिंग, प्रोसेस और इन्‍फ्रा सेक्‍टर में से जुड़ी कंपनियों में सैलरी इंक्रीमेंट का औसत सिर्फ 0.8 फीसदी रहा, जबकि FMCG सेक्टर में 5.4 फीसदी औसतन इंक्रीमेंट हुआ. जिस तरह से से बीते पांच सालों में महंगाई बढ़ी है, उसके सापेक्ष देखा जाए तो ये इंक्रीमेंट निगेटिव है. महंगाई दर के सामने ये न के बराबर है.  


कंपनियों की भरी तिजोरी


जहां कर्मचारियों की मूंगफली के दाने बराबर इंक्रीमेंट मिला तो वहीं कंपनियों ने अपनी तिजोरियां भरी.  मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन  के मुताबिक 15 सालों में निजी कंपनियों की कमाई में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. इस साल कॉर्पोरेट कंपनियों का प्रॉफिट पिछले 15 साल में अपने उच्चतम स्तर पर रहा. साल सालों में कंपनियों ने 4 गुना कमाई की.  कंपनियों ने जिन कर्मचारियों के दम पर अपनी तिजोरी भरी, उन्हें की चवन्नी इंक्रीमेंट दिया है.