Share Market Trading: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के कई सारे तरीके हैं. इनमें से एक तरीका ऑप्शंस ट्रेडिंग का भी है. ऑप्शंस ट्रेडिंग के तहत ट्रेडर्स कम पूंजी का इस्तेमाल कर भी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं और ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं. वहीं ऑप्शंस ट्रेडिंग में आपने जितनी पूंजी लगाई है, आपका रिस्क उतना ही रहता है. हालांकि अब ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जिनको देखकर यही लगता है ऑप्शंस ट्रेडिंग में ज्यादातर लोग नुकसान उठा रहे हैं.


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ऑप्शंस ट्रेडिंग
बाजार नियामक सेबी के जरिए टॉप 10 ब्रोकरों के एक नवीनतम सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में F&O व्यापारियों की संख्या केवल 3 वर्षों की अवधि में 500% से अधिक तेजी से बढ़ी है. हालांकि इनमें से 89% व्यक्तिगत डेरिवेटिव व्यापारियों ने लगभग 1.1 लाख रुपये की औसत हानि के साथ पूंजी खो दी है. ऑप्शंस ट्रेडिंग भारत में कोविड लॉकडाउन के दिनों में लोकप्रिय होने लगी जब वेतनभोगी वर्ग ने इसे घर से काम करते हुए एक साइड हसल के रूप में लिया. हालांकि इसके साथ ही रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि 10 में से 9 लोगों ने ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान का सामना किया है.


शेयर बाजार
बता दें कि ऑप्शंस ट्रेडिंग एक कॉन्ट्रैक्ट है जिसमें निवेशक इस बात का अनुमान लगाते हैं कि बिना किसी संपत्ति को वास्तव में खरीदने की आवश्यकता के भविष्य में किसी निश्चित तारीख पर संपत्ति की कीमत अधिक या कम होगी. उदाहरण के लिए निफ्टी50 ऑप्शंस व्यापारियों को इस बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स की भविष्य की दिशा के बारे में अनुमान लगाने की अनुमति देते हैं, जिसे आमतौर पर पूरे भारतीय शेयर बाजार के लिए स्टैंड-इन के रूप में समझा जाता है.


ऑप्शंस ट्रेडिंग- कॉल और पुट
ऑप्शंस ट्रेडिंग में कॉल (Call) और पुट (Put) के विकल्प मौजूद होते हैं. सामान्य तौर पर कॉल तब खरीदा जाता है जब इस बात की उम्मीद हो कि मार्केट या कोई शेयर ऊपर की ओर जाने वाला है. वहीं आमतौर पर पुट तब खरीदा जाता है, जब इस बात की उम्मीद हो कि मार्केट या शेयर में गिरावट आने वाली है.


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