नई द‍िल्‍ली : संसद की एक समिति ने सरकार को बैंकिंग क्षेत्र में नॉन परफार्मिंग एसेट्स (NPA) या फंसे कर्ज में कमी को लेकर कुछ जल्दी उत्साहित होने को लेकर आगाह किया है. समिति ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का कुछ प्रभाव बाद में दिखाई देगा जिससे डूबा कर्ज बढ़ सकता है. दरअसल, प‍िछले द‍िनों एनपीए में आई ग‍िरावट पर प‍िछले द‍िनों आंकड़े जारी क‍िए गए थे.


बैंकिंग प्रणाली ने महामारी के झटके का मुकाबला क‍िया


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संसद की स्थायी समिति की मंगलवार को संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक एनपीए का सवाल है, बैंकिंग प्रणाली ने महामारी के झटके का अच्छी तरह से मुकाबला किया है. समिति को सूचित किया गया कि रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुमानों के उलट वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च, 2022 में बढ़कर 9.8 प्रतिशत हो गया, जो मार्च, 2021 में 7.48 प्रतिशत था.


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महामारी का असर अभी ‘पाइपलाइन’ में भी है


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 31 मार्च, 2021 में 9.11 प्रतिशत था, जो दिसंबर, 2021 के अंत तक घटकर 7.9 प्रतिशत रह गया. रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति एनपीए में कमी को लेकर कुछ जल्दी उत्साहित होने के प्रति आगाह करती है. संभवत: बैंकिंग क्षेत्र के लिए महामारी का कुछ असर अभी ‘पाइपलाइन’ में है.' रिपोर्ट कहती है कि महामारी के दौरान प्रणाली में जो अतिरिक्त नकदी डाली गई थी, उसे ‘वापस’ लेने की जरूरत है क्योंकि एनपीए में बढ़ोतरी की संभावना बन सकती है.


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