आप खुद कर सकते हैं Real और Fake Gold की पहचान, सिर्फ इन बातों का रखना होगा ध्यान
सोना खरीदना निवेश का अच्छा जरिया है लेकिन इसे खरीदते समय लापरवाही की तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है. इन बातों को ध्यान में रखकर आप खुद सोने की शुद्धता जांच सकते हैं.
हमेशा बीआईएस का लोगो चैक करें
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. इसका निर्धारण भारत सरकार की एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) करती है. यह सोने की गुणवत्ता के स्तर की जांच करती है. साथ ही आभूषणों-सिक्कों की जांच के लिए लेबोरेटरीज को लाइसेंस देती है. बीआईएस द्वारा हॉलमार्क किए गए सोने के सिक्के या आभूषण पर बीआईएस का लोगो लगाना जरूरी होता है. सोना खरीदते समय यह लोगो (Logo) जरूर देखें.
असली हॉलमार्क की ऐसे करें पहचान
असली हॉलमार्क (Hallmark) पर बीआईएस का तिकोना निशान होता है. साथ ही उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है. इसके अलावा यहां सोने की शुद्धता, जिस साल में वह आभूषण बना है वह साल भी लिखा होता है.
ऐसे जांचे सोने की शुद्धता
हर आभूषण या सिक्के पर उसकी शुद्धता लिखी होती है. 24 कैरेट शुद्ध सोने पर 999 लिखा होता है, वहीं 22 कैरेट की ज्वेलरी पर 916 और 21 कैरेट सोने के लिए 875 लिखा होना चाहिए. इसके अलावा 18 कैरेट की ज्वेलरी पर 750 और 14 कैरट ज्वेलरी पर 585 लिखा होता है.
हमेशा हॉलमार्क ज्वेलरी ही खरीदें
यदि ज्वेलर हॉलमार्क की बजाय बिना हॉलमार्क वाली सस्ती ज्वेलरी देने की पेशकश करेतो उसकी बातों में न आएं. विशेषज्ञों के मुताबिक हर ज्वेलरी (Jewellery) पर हॉलमार्क कराने का खर्च केवल 35 रुपये आता है. यानी कि हॉलमार्क और बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी के दामों में कुछ खास अंतर नहीं होगा लेकिन बिना हॉलमार्क वाले आभूषण के सोने की शुद्धता में गड़बड़ी हो सकती है.
रत्न जड़ित आभूषणों के लिए अलग से सर्टिफिकेट लें
आभूषण लेते समय उसकी शुद्धता का सर्टिफिकेट लें और उसमें चैक करें कि सोने की गुणवत्ता क्या लिखी गई है. इसके अलावा यदि ज्वेलरी में कोई रत्न जड़े हों तो उसका सर्टिफिकेट अलग से लें.
हॉलमार्किंग के हैं कई फायदे
हॉलमार्क वाली ज्वेलरी खरीदने के कई फायदे हैं. एक तो इसमें सोने की शुद्धता के साथ गड़बड़ी की संभावना न के बराबर होती है. दूसरा, यदि आप आभूषण को बेचने जाएंगे तो इसमें किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी. यानी कि आपको सोने का सही दाम मिलेगा.