PM Economic Advisory Council: प्रधानमंत्री की इकोनॉम‍िक एडवाइजरी काउंस‍िल (PMEAC) के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने कहा कि सरकार को जीएसटी के कारण राजस्व का नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि एकल दर के साथ ‘राजस्व तटस्थ’ होना चाहिए. उद्योग मंडल कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि जीएसटी से चीजें आसान हुई हैं. देबरॉय ने कहा, 'आदर्श जीएसटी वह है ज‍िसमें एक ही दर हो और इसका मकसद राजस्व तटस्थ होना था. जीएसटी को जब पहली बार लागू किया गया तो उस समय वित्त मंत्रालय ने आकलन किया क‍ि राजस्व के लिहाज से जीएसटी की औसत दर कम से कम 17 प्रतिशत होनी चाहिए.’


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‘सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा’


उन्होंने कहा, ‘लेकिन मौजूदा दर 11.4 प्रतिशत है. जीएसटी के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.’ उन्होंने कहा कि जनता के साथ काउंस‍िल के सदस्य भी चाहते हैं कि 28 प्रतिशत टैक्‍स की दर कम हो. लेकिन कोई नहीं चाहता कि शून्य और तीन प्रतिशत टैक्‍स की दरें बढ़ें. उन्होंने ‘मजबूत और आत्मनिर्भर भारत पर विशेष सत्र’ में कहा, ‘इस तरह, हमारे पास कभी भी सरलीकृत जीएसटी (Simplified GST) नहीं होगा.’


कोई भी छूट जीवन को जटिल बनाती है
देबरॉय ने कहा कि जीएसटी प्रावधानों का ‘बहुत दुरुपयोग’ हो रहा है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया. डायरेक्‍ट टैक्‍स (Direct Tax) के बारे में उन्होंने कहा कि टैक्‍स र‍िफॉर्म का अल्‍टीमेट गोल सभी प्रकार की छूटों को पूरी तरह से समाप्त करना होना चाहिए. देबरॉय ने कहा कि कोई भी छूट जीवन को जटिल बनाती है, अनुपालन लागत बढ़ाती है और मुकदमेबाजी को बढ़ावा देती है.


GDP का 10 प्रतिशत हेल्‍थ और एजुकेशन पर खर्च हो
पीएमईएसी के चेयरमैन ने कहा, 'अगर सरकार को खर्च करने की जरूरत है, तो उसे राजस्व की जरूरत है. जीडीपी का 10 प्रतिशत हेल्‍थ और एजुकेशन पर, 3 प्रतिशत ड‍िफेंस पर और 10 प्रतिशत बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, हम नागरिक के रूप में जीडीपी का करीब 15 प्रतिशत टैक्‍स के रूप में चुकाते हैं. इसका मतलब हम 15 प्रतिशत टैक्‍स का भुगतान करते हैं. लेकिन सरकार से हमारी मांग और अपेक्षाएं 23 प्रतिशत की सीमा तक हैं.’


देबरॉय ने कहा, ‘हम इसे पसंद करें या नहीं, या तो हमें अधिक टैक्‍स के भुगतान के लिये तैयार रहना चाहिए या हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि हमें पश्‍च‍िमी देशों की तरह हवाई अड्डे मिलेंगे या चीन की तरह रेलवे स्टेशन मिलेंगे.’ देबरॉय ने कहा कि देश में जनसंख्या वृद्धि की दर तेजी से धीमी हो रही है और 2035 के बाद बुजुर्गों का बोझ देश के लिये एक चुनौती होगा.


उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या वृद्धि की सालाना दर अब 0.8 प्रतिशत है. 2035 के बाद बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. हमारे सामने चीन का उदाहरण है, जो धनवान होने से पहले बुजुर्ग हो जाएगा.’ देबरॉय ने कहा, ‘हमें सालाना करीब 80 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है, जबकि हम लगभग 50 लाख रोजगार ही पैदा कर रहे हैं.’ (भाषा)