नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भगोड़े आर्थिक अपराधी अध्यादेश- 2018 को अपनी मंजूरी दे दी है. इससे अब अधिकारियों को बैंकों के साथ धोखाधड़ी और जानबूझ कर ऋण न चुकाने जैसे आर्थिक अपराध कर देश से भागने वाले लोगों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है. एक अधिकारिक बयान में कहा गया कि यह अध्यादेश उन आर्थिक अपराधियों के लिए लाया गया जो देश की अदालतों के न्यायाधिकार क्षेत्र से बाहर भाग कर कानूनी प्रक्रिया से बच रहे हैं.


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बयान में किसी का नाम लिए बिना कहा गया, ‘‘इस अध्यादेश की जरूरत थी क्योंकि अपराध के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होने की संभावना या कानूनी प्रक्रिया के बीच में ही देश की अदालतों के न्यायाधिकार क्षेत्र से बाहर भागने वालों की संख्या बढ़ी है.’’ वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस साल बजट में कहा था कि सरकार इस तरह के अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने के लिए नये कानून पर विचार कर रही है. भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 को लोक सभा में गत 12 मार्च को रखा गया था लेकिन संसद की कार्यवाही बाधित रहने से इसपर विचार नहीं हो पाया था.


बयान के अनुसार, ‘‘यह उम्मीद है कि अपराध की कमाई से देश विदेश में जमा सम्पत्ति को धीघ्रता से जब्त करने के लिए जो विशेष मंच खड़ा किया जा रहा है उससे भगोड़ों के मन में डर पैदा होगा और वे अपने आप को भारतीय कानून के समक्ष पेश करने को मजबूर होंगे.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी करार दिये जाने से पहले किसी भी समय देश लौट कर अधिकृत अदालत के सामने हाजिर हो जाता है तो इस उसके खिलाफ कार्रवाई रुक जाएगी.’’ सरकार ने कहा कि नए कानून से बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को भगोड़े आर्थिक अपराधियों द्वारा नहीं चुकाये गये ऋण की अपेक्षाकृत अधिक वसूली संभव होगी जिससे इन संस्थानों की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी.


बैंकों को चपत लगाकर विदेश भागने वाले आर्थिक अपराध करनेवालों की संपत्तियां अब जब्त की जाएंगी. केद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बाबत एक अध्यादेश पर शनिवार (21 अप्रैल) को अपनी मुहर लगाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश-2018 लाने का फैसला किया गया. यह अध्यादेश पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के हालिया मामले के उजागर होने के बाद लिया गया है. 


नीरव मोदी, विजय माल्या हो चुके हैं फरार 
पीएनबी-धोखाधड़ी के इस मामले में आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी बैंक को 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगाकर देश से पलायन कर चुके हैं.
इसके अलावा विजय माल्या समेत कुछ और लोग बैंकों को चूना लगाने के आरोपी देश छोड़ कर भाग गए हैं. निष्क्रिय हो चुकी विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइन्स के मालिक माल्या बैंकों से भारी कर्ज लेकर कुछ साल पहले देश से पलायन कर लंदन चले गए हैं.


भारत वापसी के लिए बनेगा दबाव
सूत्रों के मुताबिक, अध्यादेश का मकसद आर्थिक अपराधियों पर भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने के मामले में लगाम कसना है. अध्यादेश के तहत भारत या विदेशों में अपराध से अर्जित संपत्तियों की कुर्की शीघ्र करने के लिए एक विशेष मंच बनाया जाएगा. यह मंच भगोड़े अपराधियों की भारत वापसी के लिए दबाव बनाएगा, जिससे अपराध के मामलों में भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में उनके खिलाफ मुकदमा चलाना आसान होगा.


धनशोधन कानून 2002 के तहत विशेष अदालत का प्रावधान
अध्यादेश में किसी व्यक्ति को आर्थिक अपराध का भगोड़ा घोषित करने के लिए धनशोधन कानून 2002 के तहत विशेष अदालत का प्रावधान किया गया है. आर्थिक अपराध का भगोड़ा उस व्यक्ति को कहा जाता है, जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है और वह आपराधिक अभियोग से बचने के लिए देश से पलायन कर चुका है या विदेश में निवास कर रहा है और आपराधिक मुकदमे का सामना करने के लिए भारत आने से इनकार करता है.


100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की राशि पर चलेगा मामला
इस अध्यादेश में आर्थिक अपराध के तहत अपराधों की एक सूची दी गई है. साथ ही, ऐसे मामलों से अदालत पर बोझ नहीं बढ़े, इसलिए अध्यादेश के दायरे में सिर्फ उन्हीं मामलों को शामिल किया गया है, जिनका कुल मूल्य 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो. सूत्रों के मुताबिक, अध्यादेश से भगोड़े आर्थिक अपराधियों के मामले में कानून का अनुपालन दोबारा बनाए रखने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि आरोपियों को भारत लौटकर मामले में मुदकमे का सामना करने के लिए बाध्य किया जाएगा.