Public Sector Banks NPA: सरकार के उपाय लगातार रंग ला रहे हैं और पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के बैंकों के एनपीए में जबरदस्‍त ग‍िरावट आई है. यही कारण है क‍ि सरकार की तरफ से उठाए गए तमाम उपायों के कारण सरकारी बैंकों का एनपीए (NPA) सितंबर, 2024 के अंत में घटकर प‍िछले दस साल में सबसे कम रह गया है. प‍िछले दस साल के दौरान यह ग‍िरकर 3.12 प्रतिशत पर आ गया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया क‍ि मार्च, 2018 में सरकारी बैंकों का कुल एनपीए 14.58 प्रतिशत था. सरकार के चार ‘आर’ यानी समस्या की पहचान (रिकॉग्निशन), पूंजी डालना (रिकैपिटलाइजेशन), समाधान (रिजोल्यूशन) और सुधार (रिफॉर्म) जैसे उपायों से एनपीए में ग‍िरावट आई है.


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फाइनेंश‍ियल स‍िस्‍टम में सुधार के लिए कदम उठाए


मंत्रालय की तरफ से बताया गया क‍ि 2015 के बाद से सरकार ने पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के बैंकों (PSB) के समक्ष चुनौतियों के समाधान के लिए चार ‘आर’ की स्‍टेटजी अपनायी. इसके तहत एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, उसका समाधान और फंसे कर्ज की वसूली, पीएसबी में पूंजी डालने और फाइनेंश‍ियल स‍िस्‍टम में सुधार के लिए कदम उठाए गए. पीएसबी में पूंजी पर्याप्तता अनुपात 3.93 प्रतिशत सुधरकर सितंबर, 2024 में 15.43 प्रतिशत पर पहुंच गया, यह मार्च 2015 में 11.45 प्रतिशत था.


देश के हर कोने तक पहुंच रहे सरकारी बैंक
पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के बैंकों ने 2023-24 के दौरान 1.41 लाख करोड़ का सबसे ज्‍यादा फायदा कमाया, जो 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये था. 2024-25 की पहली छमाही में यह आंकड़ा 0.86 लाख करोड़ रुपये रहा. पिछले तीन साल में पीएसबी ने कुल 61,964 करोड़ रुपये का ड‍िव‍िडेंड दिया है. वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के बैंक वित्तीय समावेश को बढ़ाने लिए देश के हर कोने तक पहुंच बढ़ा रहे हैं. उनका कैप‍िटेल बेस मजबूत हुआ है और उनकी संपत्ति गुणवत्ता बेहतर हुई है. अब वे पूंजी के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से पूंजी जुटाने में समक्ष है.’


52 करोड़ से ज्‍यादा बिना गारंटी के लोन मंजूरी दी गई
देश में वित्तीय समावेश को मजबूत करने के लिए 54 करोड़ जन धन खाते और अलग-अलग प्रमुख वित्तीय योजनाओं... पीएम-मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, पीएम-स्वनिधि, पीएम व‍िश्‍वकर्मा... के तहत 52 करोड़ से अधिक बिना किसी गारंटी के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं. वित्त मंत्रालय ने कहा कि मुद्रा योजना के तहत, 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं और पीएम-स्वनिधि योजना के तहत, 44 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं.


बैंक शाखाओं की संख्‍या बढ़ रही
बैंक शाखाओं की संख्या सितंबर, 2024 में 1,60,501 हो गई जो मार्च, 2014 में 1,17,990 थी. 1,60,501 शाखाओं में से 1,00,686 शाखाएं ग्रामीण और कस्बों में हैं. वित्त मंत्रालय के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल कर्ज मार्च, 2024 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 175 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह 2004-2014 के दौरान 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 61 लाख करोड़ रुपये रहा था.