नई दिल्ली: NPA से जूझ रहे सरकारी बैंकों और MSMEs सेक्टर के प्रतिनिधियों से आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुलाकात की. इस मुलाकात का मकसद MSMEs सेक्टर की समस्याओं और लगातार बढ़ रहे NPA से कैसे निपटा जाए इस पर था. RBI के नए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कामर्शियल बैंक्स और को-ऑपरेटिव बैंक के साथ भी उनकी बैठक हुई है और इन बैंकों को लोन, रीस्ट्रक्चरिंग में जिस तरह की समस्याएं आ रही हैं, उन्हें भी वो समझने की कोशिश कर रहे हैं. पत्रकारों से बातचीत में शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें ऐसा कोई लक्ष्य नहीं दिया गया है, जिसमें कहा गया हो कि बैंकों के बैड लोन को कब तक कम करना है. साथ ही डिविडेंट के मुद्दे पर भी कोई फैसला नहीं हुआ.


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किसान कर्जमाफी पर बोले शक्तिकांत
देश में किसान कर्जमाफी और उसके चुनावी इस्तेमाल को लेकर RBI गवर्नर ने कहा कि किसान कर्जमाफी फिस्कल स्पेस यानी सरकारों को अपने बजट को ध्यान में रखकर देना चाहिए. राज्य सरकारों के पास किसानों का कर्ज माफ करने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना चाहिए कि क्या वे इस स्थिति में है या नहीं? उन्होंने साफ कहा कि कर्जमाफी की घोषणा से कर्ज अदायगी का कल्चर जरूर प्रभावित होता है.


बैंकों के हालात में हो रहा सुधार
शक्तिकांत दास का मानना है कि सरकारी बैंकों की स्थिति में सुधार हो रहा है. बैंक नए लोन देने में पहले से ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं. अब वह सरकारी बैंको के गवर्नेंस सुधार के मुद्दे पर भी काम करेंगे. इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से नकदी की समस्या से जूझ रहे MSMEs सेक्टर को परेशानियों को सुलझाने का भी उन्होंने आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि RBI की कोशिश रहेगी कि हर MSMEs को लाभ के दायरे में लाया जाए.