RBI गवर्नर का बड़ा बयान, साउथ एशियाई देशों के लिए महंगाई पर लगाम लगाना जरूरी
IMF: दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कर्जों का बढ़ता स्तर और कीमतों में बढ़ोतरी का लगातार दबाव आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम हैं.
Reserve Bank of India: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए महंगाई पर लगाम लगाना प्राथमिकता है. अनियंत्रित कीमतें वृद्धि और निवेश परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं. दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कर्जों का बढ़ता स्तर और कीमतों में बढ़ोतरी का लगातार दबाव आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम हैं. ऐसे में इन दोनों पर ही काबू पाना होगा. उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को पिछले कुछ सालों में कई बाहरी झटकों का सामना करना पड़ा है.
वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति
कोविड-19 महामारी से वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधित होने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्य एवं ऊर्जा संकट पैदा हुआ. आक्रामक ढंग से मौद्रिक नीतियों में सख्ती से वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हुई. उन्होंने कहा कि इन बाहरी झटकों ने दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों पर लगातार दबाव डाला है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'हालांकि पिछले कुछ महीनों में जिंस उत्पादों के दाम कम होने और आपूर्ति शृंखला की अड़चनें दूर होने से आगे मुद्रास्फीति में कमी आनी चाहिए. अगर मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो फिर वृद्धि और निवेश परिदृश्य के जोखिम बढ़ सकते हैं.'
महंगाई पर काबू पाने के लिए बढ़ाया रेपो रेट
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देश आयातित जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भर होने से आयातित ईंधन महंगाई की चपेट में आ जाते हैं. दास ने कहा, 'महंगाई नीचे लाने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीति उपायों के साथ आपूर्ति पक्ष से जुड़े लक्षित हस्तक्षेप, राजकोषीय, व्यापार नीति एवं प्रशासनिक सुधार भी अहम साधन बन गए हैं.' खुद आरबीआई ने पिछले साल महंगाई पर काबू पाने के लिए सात महीनों में पांच बार रेपो रेट बढ़ाने का कदम उठाया. इस दौरान रेपो दर में कुल 2.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह अब 6.25 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है.
नवंबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.88 प्रतिशत पर आने से आरबीआई को राहत मिली है. उन्होंने कहा, 'हालांकि अवस्फीति को लेकर हमारा नजरिया वैश्विक वृद्धि एवं व्यापार में गिरावट की आशंकाओं के बीच वृद्धि परिदृश्य को लेकर बढ़ते जोखिम को ध्यान में रखते हुए बनना चाहिए.' उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के अलावा बाह्य कर्ज से जुड़ी कमजोरियों में कमी लाना, अधिक उत्पादक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देना और एक हरित अर्थव्यवस्था के लिए सहयोग बढ़ाने पर दक्षिण एशियाई क्षेत्र को ध्यान देना चाहिए. (Input : PTI)
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