नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अब यह 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपकी जेब पर असर पड़ना तय है. रेपो रेट बढ़ने से आपके लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी. रेपो रेट बढ़ने पर आपकी जेब पर पड़ने वाले असर को समझने के लिए सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि रेपो रेट होता क्या है.


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क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है.


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क्यों बढ़ाया जाता है रेपो रेट?
भारतीय अर्थव्यवस्थआ के संभावित हालात और महंगाई को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करता है. हालांकि, रेपो रेट में बढ़ोतरी ज्यादातर उस वक्त की जाती है जब देश में महंगाई का दबाव ज्यादा होता है. महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए रेपो रेट एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. रेपो रेट में बढ़ोतरी से महंगाई को काबू रखने में मदद मिलती है. ऐसा माना जाता है कि जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो बैंक उससे कम कर्ज लेते हैं. ऐसा होने की वजह से चलन में मनी सप्लाई कम होती है. इससे महंगाई नियंत्रण में आती है.


आम आदमी पर क्या होता है असर?
रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा. महंगी दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का बोझ बैंक अपने उपभोक्ता पर बढ़ाते हैं. यह बोझ आपके साथ महंगे कर्ज और बढ़ी हुई ईएमआई के तौर पर बांटा जाता है. इसी वजह से जब भी रेपो रेट बढ़ता है तो आपके लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है. साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी बढ़ जाती है.


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सस्ते कर्ज का दौर खत्म
मॉनिटरी पॉलिसी के बाद RBI ने रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान किया. रेपो रेट बढ़ने से हर तरह के लोन की EMI बढ़ेगी. रिजर्व बैंक के इस कदम से साफ है कि अब सस्‍ते कर्ज का दौर खत्‍म हो रहा है और आपको महंगे कर्ज के लिए तैयार रहना होगा. एमपीसी के सभी सदस्यों ने दर बढ़ाने के पक्ष में वोट किया.