RBI on Municipal Corporations Tax: नगर निगम क्षेत्रों में रहना अब महंगा हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नगर निगमों को गैर-कर राजस्व बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाएं मुहैया कराने के लिए जल आपूर्ति और स्वच्छता जैसी जरूरी सेवाओं के लिए पर्याप्त उपयोगकर्ता शुल्क लेना चाहिए.  


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'नगर निगम वित्त पर रिपोर्ट' 2019-20 से 2023-24 (बजट अनुमान) में 232 नगर निगमों (एमसी) की राजकोषीय स्थिति पर गहराई से विचार किया गया है. इसमें खासतौर से 'नगर निगमों में राजस्व सृजन के अपने स्रोत: अवसर और चुनौतियां' विषय पर ध्यान दिया गया. 


RBI ने दिए टैक्स बढ़ाने के सुझाव


रिपोर्ट के मुताबिक, ''नगर निगम जल आपूर्ति, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए उचित और पर्याप्त शुल्क लगाकर गैर-कर राजस्व काफी बढ़ा सकते हैं. ऐसा करके उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है.'' रिपोर्ट में कहा गया कि ये उपाय, अधिक पारदर्शी और जवाबदेह शासन प्रथाओं के साथ मिलकर, नगर निगमों की वित्तीय सेहत को मजबूत करने में योगदान दे सकते हैं. 


कौन-कौन से टैक्स लगाए जा सकते हैं?


आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक अगर ऐसा हो सका तो जनता के लिए बेहतर सेवाओं, मजबूत राजस्व और शहरी बुनियादी ढांचे के लगातार उन्नयन का एक चक्र शुरू होगा. मुख्य गैर-कर राजस्व स्रोतों में उपयोगकर्ता शुल्क, व्यापार लाइसेंस शुल्क, लेआउट/ भवन मंजूरी शुल्क, विकास शुल्क, बेहतरी शुल्क, बिक्री और किराया शुल्क, बाजार शुल्क, बूचड़खाना शुल्क, पार्किंग शुल्क, जन्म और मृत्यु पंजीकरण शुल्क शामिल हैं. कर राजस्व के स्रोतों में संपत्ति कर, खाली भूमि कर, जल लाभ कर, विज्ञापन कर, सीवरेज लाभ कर, पशुओं पर कर और गाड़ियों पर कर शामिल हैं.