झटपट आपके घर सामान पहुंचाएंगे मुकेश अंबानी! पायलट प्रोजेक्ट शुरू होते ही ब्लिंकिट, बिगबास्केट, जेप्टो के छूटे पसीने
Reliance Retail Jio Mart: रिलायंस इंडस्ट्री कंपनी रिटेल सेक्टर में लगातार अपना विस्तार कर रही है. रिलायंस रिटेल की कमान संभाल रही ईशा अंबानी अब फास्ट डिलीवरी कॉन्सेप्ट में अपना दबदबा बढ़ाने में जुट गई है. जियोमार्ट के जरिए कंपनी क्विक डिलीवरी की शुरुआत कर रही है.
Reliance Retail Jio Mart: रिलायंस इंडस्ट्री कंपनी रिटेल सेक्टर में लगातार अपना विस्तार कर रही है. रिलायंस रिटेल की कमान संभाल रही ईशा अंबानी अब फास्ट डिलीवरी कॉन्सेप्ट में अपना दबदबा बढ़ाने में जुट गई है. जियोमार्ट के जरिए कंपनी क्विक डिलीवरी की शुरुआत कर रही है. कंपनी ने मुंबई, नेवी मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी है.
जियो मार्ट की इंस्टेंट डिलीवरी
ग्रोसरी की फास्ट डिलीवरी कॉन्सेप्ट तेजी से बढ़ रहा है. ब्लिंकिट, जेप्टो, स्विगी जैसे कई प्लेटफार्म हैं, जो कुछ ही मिनटों में आप तक इंस्टेंट डिलीवरी करती हैं. अब ईशा अंबानी ने भी इस रेस में खुद को शामिल कर लिया है. जियो मार्ट ने फास्ट डिलीवरी की शुरुआत कर दी है. इसके लिए मुंबई और नवी मुंबई में पायलट प्रोजेक्च की शुरुआत की गई है. जियो मार्ट के जरिए मुबंई, नेवी मुंबई में किराने के सामान, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स की इंस्टेंट डिलीवरी की जाएगी. मुंबई, नवी मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट के बाद इसे देश के अलग-अलग शहरों में लागू किया जाएगा.
इन कंपनियों की बढ़ी टेंशन
शुरुआत में ऑर्डर के एक घंटे के भीतर डिलीवरी करने की प्लानिंग है. बाद में इसे घटाकर 30 मिनट कर दिया जाएगा. लोगों को जियोमार्ट ऐप के जरिए ये सुविधा मिलेगी. बता दें कि पहले सबसे तेज डिलीवरी में भी कम से कम 12 घंटे के वक्त लगता था, जिसे अब कम कर 1 घंटा और फिर 30 मिनट कर दिया जाएगा. इंस्टेंट डिलीवरी के रेस में जियो मार्ट के उतरने से ब्लिंकिट, स्विगी इंस्टामार्ट, ज़ेप्टो जैसी कंपनियों की टेंशन बढ़ गई है.
जियोमार्ट के आने से बढ़ेगा कॉम्पिटिशन
जियो के क्विक डिलीवरी के रेस में उतरने से कॉम्पिटिशन बढ़ेगा . टाटा के स्वामित्व वाली बिगबास्केट, जोमैटो की ब्लिंकिट, स्विगी इंस्टामार्ट, जेप्टो और बीबी नाउ जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. हालांकि ये कंपनियां 10 मिनट में डिलवरी करती है. फिलहाल जियो इस 10 मिनट के रेस में नहीं उतरना चाहती है, क्योंकि इसके लिए डार्क स्टोर की ज्यादा पहुंच बनाने और डिलीवरी कर्मियों के एक बड़े बेड़े को काम पर रखने की जरूरत होगी. लेकिन 30 मिनट वाला प्रोजेक्ट भी अगर सफल हो जाता है तो इन कंपनियों की परेशानी बढ़नी तय है.