अनुराग शाह, नई दिल्ली: फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियां अपने प्लेटफार्म पर एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट नहीं बेच पाएंगी. सरकार ने ई-कॉमर्स पॉलिसी को लेकर निर्देश जारी किया है और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियम सख्त किए गए हैं. जारी निर्देशों के मुताबिक, ई-कॉमर्स कंपनियां मार्केट प्लेस कंपनियां हैं और बिजनेस टू बिजनेस मॉडल में ही 100 फीसदी FDI की ऑटोमेटिक रूट के जरिए अनुमति है. सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक विक्रेताओं पर ई-कॉमर्स कंपनियां दबाव नहीं डाल सकतीं और विक्रेता अपना माल कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेच सकेगा. कई मौकों पर नए फोन या प्रोडक्ट्स सिर्फ चुनिंदा ईकॉमर्स साइट पर ही लॉन्च होते है लेकिन नए नियमों के बाद किसी माल के लिए एक्सक्लूसिव प्लेटफॉर्म नहीं होगा.


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फ्लिपकार्ट और अमेजन कंपनियां अपनी सब्सिडियरीज बना कर उनके प्रोडक्ट्स अपने प्लेटफार्म पर बेचती हैं, लेकिन किसी भी कंपनी में अगर ई-कॉमर्स कंपनी की हिस्सेदारी है तो वो कंपनियां अपना या सब्सिडियरीज का माल नहीं बेच सकेंगी. ग्राहकों की संतुष्टि के लिए विक्रेता भी जिम्मेदार होगा और दाम घटाने के लिए विक्रेता पर दबाव नहीं डाला जा सकता. मतलबा, फ्लिपकार्ट और अमेजन भारी भरकम डिस्काउंट नहीं दे पाएगी. ऑफर्स पर भी ईकॉमर्स कंपनियों को सफाई देनी होगी और कैशबैक देने में पारदर्शिता बरतनी होगी.


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ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियम 1 फरवरी 2019 से लागू होंगे. फ्यूचर रिटेल के ज्वाइंट MD राकेश बियानी के मुताबिक सरकार की सफाई के बाद ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म में समानता आएगी और दूरी कम होगी. लेकिन नए नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी सरकार और इंडस्ट्री पर है. पूरे सेक्टर की भलाई के लिए नियमों का सही ठंग से लागू होना जरूरी होगा. 


रिटेलर्स एसोशियशन ऑफ इंडिया के CEO कुमार राजगोपालन के मुताबिक, सरकार ने नोटिफिकेशन के जरिए कई मुद्दों पर सफाई दी है और सबसे बड़ी दो बातें है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी सब्सिडियरी का सामान अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच पाएंगी और ई-कॉमर्स कंपनियों के पास प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए एक्सक्लूसिव अधिकार नहीं होंगे.