सेविंग अकाउंट से धड़ाधड़ पैसे निकाल रहे लोग, RBI के इस फैसले का दिखा असर
Savings Account Update: सर्वे में कहा गया कि संपत्ति की गुणवत्ता के संबंध में 75 प्रतिशत बैंकों ने पिछले छह महीनों में अपने एनपीए में गिरावट दर्ज की है, जबकि पिछले चरण में 90 प्रतिशत बैंकों ने ऐसा बताया था.
CASA Deposits: रिजर्व बैंक ने पिछली चार एमपीसी (MPC) से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया. लेकिन कर्ज पर ब्याज दर अब भी उच्चतम स्तर पर बनी हुई है. ब्याज दर बढ़ने का ही असर है कि लोग सेविंग अकाउंट में पैसा रखने की बजाय एफडी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. उद्योग मंडल फिक्की (FICCI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की तरफ से जारी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार एफडी बढ़ने से करंट और सेविंग अकाउंट में जमा होने वाले पैसे में कमी आई है. आपको बता दें बैंक की तरफ से जुटाए जाने वाले पैसे में करंट और सेविंग अकाउंट में जमा रकम कम लागत वाला पैसा होती है. इन खातों में ज्यादा पैसा जमा होने का मतलब बैंकों के लिए बेहतर मार्जिन है.
एफडी के रेश्यो में तेजी आई
फिक्की-आईबीए के 17वें दौर के सर्वे के अनुसार, 'ऊंची ब्याज दर को देखते हुए लोगों की रुचि एफडी की तरफ ज्यादा है. सर्वे के मौजूदा दौर में आधे से ज्यादा प्रतिभागी बैंकों (57 प्रतिशत) ने कुल जमा में करंट और सेविंग अकाउंट की डिपॉजिट की हिस्सेदारी में कमी दर्ज की है. दूसरी तरफ एफडी में तेजी आई है.'
एनपीए में गिरावट दर्ज की गई
सर्वे में कहा गया कि संपत्ति की गुणवत्ता के संबंध में 75 प्रतिशत बैंकों ने पिछले छह महीनों में अपने एनपीए में गिरावट दर्ज की है, जबकि पिछले चरण में 90 प्रतिशत बैंकों ने ऐसा बताया था. इसमें कहा गया कि पब्लिक सेक्टर के 90 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए में कमी का हवाला दिया है. वहीं, प्राइवेट सेक्टर के 80 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए में गिरावट की बात कही है. सर्वे के अनुसार मौजूदा चरण में करीब 54 प्रतिशत बैंकों को लगता है कि ग्रॉस एनपीए अगले छह महीनों में तीन-चार प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगा.
लॉन्ग टर्म के लोन में इजाफे के संकेत
सर्वे से यह भी सामने आया कि इंफ्रा में ऋण प्रवाह में तेजी देखी जा रही है. सर्वे में 67 प्रतिशत ने लॉन्ग टर्म के लोन में इजाफे के संकेत दिये हैं, जबकि पिछले दौर में यह आंकड़ा 57 प्रतिशत था. सर्वे के अनुसार अगले छह महीनों में गैर-खाद्य उद्योग क्षेत्र में कर्ज में वृद्धि देखने को मिल सकती है. सर्वे में शामिल करीब 42 प्रतिशत प्रतिभागियों को उम्मीद है कि गैर-खाद्य उद्योग में लोन में वृद्धि 12 प्रतिशत से अधिक होगी. जबकि पिछले दौर में 36 प्रतिशत ने यह संभावना जतायी थी. (भाषा)