SBI Chairman Dinesh Kumar Khara: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ग्राहकों के लिए खुशखबरी है. बैंक ने बताया है कि उधार दर सख्त होने के बावजूद रिटेल और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं की बढ़ती मांग के कारण उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में ऋण बढ़ोतरी दर लगभग 15 फीसदी तक बनाकर रखी जा सकेगी. एसबीआई की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार बैंक ने 30 जून, 2022 को खत्म पहली तिमाही में एडवांसेज 14.93 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 29,00,636 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि के दौरान यह एडवांसेज 25,23,793 करोड़ रुपये थे. आपको बता दें कि इसमें से रिटेल लोन में 18.58 फीसदी की विकास दर दर्ज की गई, जबकि कॉर्पोरेट अग्रिमों में जून तिमाही के अंत में सालाना आधार पर 10.57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. यानी बैंक का मुनाफा जबरदस्त रहा है.


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65 फीसदी नए बचत खाते खोले गए


एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने बताया कि बैंक जल्द ही योनो (एकीकृत डिजिटल बैंकिंग मंच) 2.0 आएगा, जिसमें कई बेहतरीन सुविधाएं हैं और यह कामकाज करने की सुविधाओं से लैस हैं. उन्होंने आगे बताया कि बैंक की डिजिटल कामकाज की अगुवाई जारी है. बैंक के साथ 96.6 फीसदी से अधिक लेनदेन अब वैकल्पिक चैनलों के माध्यम से किए जाते हैं. योनो पर रजिस्टरेड यूजर्स की संख्या पहले ही 5.25 करोड़ को पार कर चुकी है, जो एक बड़ी उपलब्धि है. इसने बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव प्रदान किए हैं. 65 फीसदी नए बचत खाते योनो के माध्यम से खोले गए हैं.'


एसबीआई ने चेयरमैन ने दी जानकारी 


एसबीआई ने चेयरमैन ने बताया कि सरकार के बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम से कोविड महामारी का असर काफी हद तक कम हो गया है, अधिकांश देशों द्वारा हवाई यात्रा फिर से शुरू करने और अन्य रोकथाम उपायों को हटाने के साथ अर्थव्यवस्था लगभग पटरी पर आ गई है. हालांकि, उन्होंने कहा, अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति से जोखिम अभी भी बना हुआ है. इतना ही नहीं, वैश्विक स्तर पर चल रहे उठा-पटक जैसे चीन और रूस में मंदी के चलते इस साल की दूसरी तिमाही में वैश्विक उत्पादन सिकुड़ गया है.


एसबीआई की है तैयारी 



एसबीआई ने चेयरमैन ने आगे बताया कि वैश्विक स्तर पर हो रहे विवादों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था की जिजीविषा कायम है. आरबीआई द्वारा दर में हाल में बढ़ोतरी किये जाने के बाद, रेपो रेट को बढ़कर 5.40 फीसदी कर दिया गया, जो इस साल मई से 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी को दर्शाता है. यानि तमाम अवरोधों के बावजूद भारतीय अर्थ व्यवस्था पटरी पर है.